नई दिल्ली: मुस्लिम धर्मगुरु खालिद रशीद फिरंगी महली का कहना है कि दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन की घटना के बहाने मुस्लिम समुदाय के प्रति नफरत फैलाया जा रहा है। एक न्यूज चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा, निजामुद्दीन वाले केस के लिए सोशल मीडिया पर बहुत नफरत फैलाई जा रही है।' उनका कहना है कि मरकज ने प्रशासन से कोई बात नहीं छिपाई और हर दिन का ब्योरा थाने को दिया।

इधर, मरकज से जुड़े मोहम्मद अशरफ ने भी कहा कि 16 मार्च से ही यहां आए लोगों को लौटाया जाने लगा था, लेकिन 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरौन जो लोग मरकज पहुंचे, वो यहां फंस गए। उन्होंने कहा कि यहां फंसे लोगों की जानकारी पहले थाने को दी गई और फिर एसडीएम को।

उन्होंने कहा, '22 मार्च से पहले हम सारा मजमा हटा चुके थे, लेकिन 22 को जो जनता कर्फ्यू हुआ तो जो मजमा रास्तों में था, वो आकर यहां रुक गया। इसके लिए हमने यहां के एसएचओ के साथ मीटिंग की और अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि यह हमारी अथॉरिटी में नहीं आता है, आप एसडीएम से बात करें, वही इसका रास्ता बताएंगे।'

मरकज के पदाधिकारी ने कहा, 'हमने एसडीएम से बात की और उनसे लगातार संपर्क में रहा। हमने उन्हें पूरी लिस्ट बनाकर दी। उन्होंने कहा कि हमारे पास बसों का इंतजाम नहीं है। अगर आपके पास बसों का इंतजाम हो तो हमने बसों की फेहरिश्त दी। लिस्ट में बस नंबर और ड्राइवरों के नाम भी दिए। रात में लिस्ट दी तो उन्होंने कहा कि सुबह आइए। सुबह गए तो उन्होंने कहा कि हम इतनी बड़ी तादाद में लोगों को ले जाने की अनुमति नहीं दे सकते। आप उन्हें यहीं रोकिए। जब हमने कहा कि थाने की तरफ से दबाव बन रहा है तो उन्होंने कहा कि एसएचओ को फोन कर देता हूं और डीसीपी साहब को भी बता देता हूं।'

मोहम्मद अशरफ के मुताबिक, 16 मार्च से दिल्ली में कड़ाई होने लगी थी, उसी दिन से लोगों को लौटाया जाने लगा था। उन्होंने कहा कि हजरत निजामुद्दीन मरकज में पूरे साल ऐक्टिविटीज चलती रहती हैं। किसी को मेसेज नहीं दिया कि आप आइए। जो लोग 3-4 महीने पहले यहां से लौटे थे, वो दोबारा यहां आए थे।

उन्होंने कहा, 'यहां हर हफ्ते कई-न-कोई प्रोग्राम होता रहता है। यहां हर राज्य से लोग आते हैं तो मजमा जम जाता है। विदेशों से भी लोग आते हैं और 2,000-2,500 लोगों का 'जोड़' हो जाता है। लोग आते रहते हैं, जाते रहते हैं। उन्हीं में से जमातें भी आती-जाती हैं। जो प्रॉपर जमातें होती हैं, वो 40 दिन पूरा करके चार महीने बाद फिर आती हैं।'