इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स या इनविटस जोखिम को एडजस्ट करते हुए आपको बेहतर रिटर्न दे सकते हैं और अपने अधीन सम्पत्तियों के कैश फ्लो पर नजर रखते अस्थिरता को खत्म कर सकते हैं।

किसी भी विकासशील देश के लिए इसके इन्फ्रास्ट्रक्चर में बढ़ोतरी और उत्तरोत्तर विकास जरूरी है, क्योंकि इसी से उस देश के जीवनस्तर में सुधार आता है और आर्थिक विकास की उच्च दर प्राप्त हो सकती है। औद्योेगिक क्षेत्र के अनुमान बताते हैं कि इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सार्वजनिक निवेश का 30 से 50 प्रतिशत तक खर्च किया जाए, तो नए निवेश उत्पादों के सृजन की अच्छी सम्भावना बनती है। इनके जरिए देश का विकास एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए बाजारों को पैसा प्राप्त करने में सहायता मिलती है। इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स या इनविटस ऐसे ही नए अवसरों के उदाहरण हैं, जो सीपीपीआईबी, जीआईसी, ब्रुकफील्ड, ब्लेकस्टोन, केकेआर, ओएमईआर, श्रोडर्स, एसीपी और आईएफसी जैसे निवेशकों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं । हर्ष शाह, सीईओ, इंड़िया इंडीग्रीड के अनुसार, पिछले तीन वर्ष से छह इनविटस और आरईआईटी लिस्टिंग्स करीब 70 हजार करोड़ की सम्पत्तियों का प्रबंधन कर रही है । इनमें सड़कें, बिजली वितरण, व्यावासायिक सम्पत्तियां और गैस पाइपलाइंस शामिल हैं। इनविटस रिटर्न देते हैं और अपने अधीन सम्पत्तियों के कैशफ्लो पर नजर रखते हुए अस्थिरता को समाप्त कर सकते हैं। दीर्घावधि सम्पत्तियों और दायित्वों के साथ स्थिर और डायवर्सिफाइड रिटर्न के आपसी संयोग के कारण ये बीमा कम्पनियों और पेंशन फंड्स के निवेश के लिए बहुत उपयुक्त रहते हैं। इनविटस ग्लोबल दीर्घावधि निवेशकों के लिए अच्छे हैं, जो स्थिर लाभ देने वाले आपरेटिव इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश करना पसंद करते हैं। आईपीओ में निवेश करने वाले लाॅन्ग ओनली एफआईआई इसमें रजिस्टर करते है । ब्याज दरों में ट्रेफिक्टा, पूँजी में बढ़ोतरी और लाभांश से मिलने वाली आय के कारण फंड हाउस इनविटस को पसंद करे रहे हैं । सूचीबद्ध इनविटस बढ़ते हुए 12 प्रतिशत लाभ दे रहे हैं। यह जोखिम को समायोजित करते हुए बहुत अच्छा वेल्यू प्रपोजिशन देता है।

इनविटस के लिए अच्छी बात क्या हुई है?

सेबी ने अप्रेल 2019 में इनविटस नियमों में दो बहुत व्यवहारिक बदलाव किए हैं। इससे कुछ कडे़ प्रतिबंधों को देखते हुए इनविटस के लिए लिवरेज लिमिट को टोटल एसेट वेल्यू के 49 से 70 प्रतिशत तक बढ़ाने में सहायता मिली। इसके अलावा लाॅट वेल्यूज की ट्रेडिंग काफी हद तक कम हो गई। यह पांच लाख से एक लाख रूपए रह गई जिससे मार्केट लिक्विडिटी और डेप्थ बेहतर हुई।

नियमों के कारण इनविट्स आपरेटिंग सम्पत्तियों को ही लेते हैं, इससे वे इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रमुख जोखिमों जैसे फाइनेंशियल क्लोजर, नियामक अनुमतियां और समय व लागत का अधिक होने आदि से बच जाते हैं। चूंकि उन्हें निवेशकों को नकद आय का कम से कम 90 प्रतिशत देना जरूरी होता है ऐसे में यह स्थिर और निश्चित लाभ देते हैं। इसके अलावा आज के अनिश्चितता और अस्थिरता वाले समय में ब्याज दरों में कमी के वातावरण के कारण भी यह बहुत अच्छा निवेश माना जा रहा है।

लाॅट साइज में कमी का महत्व

प्रमुख अंतरराष्ट्रीय लाभ देने वाले बाजारों में एक स्थापित नियम है कि उच्च तरलता किसी भी वित्तीय इन्स्ट्रुमेंट की स्थिरता का परिचायक है और अच्छी कीमत प्राप्त कर ने के लिए पूर्व शर्त है। प्दअप्ज्े के मामले में लाॅट साइज में कमी यूनिट्स की लिक्विडिटी के लिए सीधा वरदान है। इससे बड़े पैमाने का रिटेल और एचएनआई निवेश मिलने में सहायता मिलती है।

अधिक ऋण स्रोतों की उपलब्धता का प्रभाव

इस वर्ष आरबीआई की ओर से और दो नए काम हुए हैं। पहला, बैंकों को कुछ निश्चित मापदण्ड पूरे करने के बाद इनविटस में निवेश करने की अनुमति मिली है। दूसरा, ईसीबी अब रूपए में कर्ज की रिफाइनेंसिंग कर सकते है जो इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग का सबसे प्रचलित तरीका हुआ करता था। इसके अलावा इसके आधार पर दीर्घवधि और आप्टिमल रेट्स पर बेहतर बोरोइंग हो सकेगी। यही नहीं इससे अधिग्रहणों का प्लेटफार्म ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनेगा। यही वह तरीका है जिससे इनविट्स विकास करते हैं।

नियामक संस्थाओं द्वारा लिए गए इन सकारात्मक निर्णयों के कारण इनविटस की तरलता बढ़ी है और उन्हें बेहतर ऋण स्रोत मिल सके हैं। इसी के साथ ये प्लेटफार्म पूरे देश के निवेशकों को भारतीय इन्फ्रास्ट्रक्चर में इन्क्लूजिव ओनरशिप प्रदान कर रहे हैं।

भविष्य में आगे बढ़ेंगे

आईसीआरए के अनुमानों के अनुसार इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में पूंजीगत निवेश अगले पांच वर्ष में 100 ट्रिलियन रूपए तक होना प्रस्तावित है। इसके लिए नए पूंजीगत निवेश और ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट्स में निवेशित पूंजी की रिसाइक्लिंग की जरूरत होगी। ऐसे में इनविटस विकास को गति देेने में सबसे आगे रहेंगे और देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में तेजी लाने में प्रमुख भूमिका निभाएंगे। इसके साथ ही इनका पोर्टफोलियो भी बढे़गा।

हाल में नियामक संस्थाओं की ओर से जारी किए गए नियमों को देख्ते हुए इनविटस का भविष्य बहुत अच्छा दिख रहा हैै। हालांकि विभिन्न पक्षों को नीति सम्बन्धी चुनौतियों को बेहतर ढंग से सम्भलना होगा। उदाहरण के लिए आईआरडीएआई और पीएफआरडीए को बीमा और पेंशन फंड्स को इनविटस के डेब्ट फंड्स में निवेश की अनुमति देनी चाहिए। इससे बेहतर एएलएम मिलेगा और इन निवेशकों को डेब्ट सिक्योरिटीज में निवेश के लिए बेहतर और भरोसेमंद विकल्प प्राप्त होगा। सेबी इस क्षेत्र में प्रमुख नियमों को लगातार घोषित कर रहा है, ऐसे में अन्य नियामक संस्थाओं को भी इनविटस को आगे बढ़ाने में सहयोग देना चाहिए ताकि भारत पांच ट्रिलियन डाॅलर की अर्थव्यवस्था बन सके।