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योगी सरकार ने कहा, पोस्टर मामले पर HC हस्तक्षेप न करे

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मेरठ जिला प्रशासन ने सार्वनजिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की भरपाई के लिए 51 लोगों के खिलाफ नोटिस जारी किए हैं। सरकार इन लोगों के पोस्टर और होर्डिंग जारी करने की योजना भी बना रही है, जिनपर नाम और फोटो लगे होंगे। आरोप है कि 20 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के दौरान इन लोगों ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था। खास बात है कि प्रशासन की योजना ऐसे समय में सामने आई है जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ में इसी तरह के पोस्टर लगाने के राज्य सरकार के कदम पर अपना आदेश सुरक्षित रखा है।

दरअसल हाईकोर्ट ने सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदर्शनकारियों से वसूली के लिए पोस्टर लगाने की राज्य सरकार की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका पर रविवार को सुनवाई पूरी कर ली और सोमवार यानी आज इसपर फैसला सुनाया जाएगा। इस मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने कहा कि 9 मार्च, 2020 को दोपहर 2 बजे आदेश सुनाया जाएगा।

इसी बीच राज्य सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता राघवेंद्र प्रताप सिंह ने दलील दी कि अदालत को इस तरह के मामले में जनहित याचिका की तरह हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अदालत को ऐसे कृत्य का स्वत: संज्ञान नहीं लेना चाहिए जो ऐसे लोगों द्वारा किए गए हैं जिन्होंने सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है। महाधिवक्ता ने कथित सीएए प्रदर्शनकारियों के पोस्टर लगाने की राज्य सरकार की कार्रवाई को ‘डराकर रोकने वाला कदम’ बताया ताकि इस तरह के कृत्य भविष्य में दोहराए न जाएं।

दूसरी तरफ मेरठ शहर के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट अजय कुमार तिवारी ने कहा, ‘हमने सरकारी संपत्ति के नुकसान के लिए 28.27 लाख की वसूली के लिए 51 लोगों को नोटिस दिए हैं। इनमें से प्रत्येक व्यक्ति को एक सप्ताह के भीतर लगभग 55,431 रुपए का भुगतान करना होगा। अगर वो राशि जमा करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें उनकी संपत्तियों की कुर्की जैसी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।’ वहीं जिला मजिस्ट्रेट अनिल ढींगरा ने कहा कि इन (51) लोगों के नाम और फोटो संबंधित पुलिस स्टेशनों पर चिपकाए जाएंगे।

लखनऊ, मुजफ्फरनगर और कानपुर के बाद मेरठ चौथा जिला है जहां वसूली प्रक्रिया शुरू की गई है। मेरठ सिटी के एडीएम (वित्त) सुभाष चंद प्रजापति के मुताबिक, ‘इन 51 लोगों की पहचान सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल फोन और वीडियो के माध्यम से की गई है।’ उन्होंने कहा कि सरकारी संपत्तियों को हुए नुकसान का राजकोषीय आकलन मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) और मेरठ नगर निगम (एमएनएन) द्वारा किया गया था। इसमें 28.27 लाख रुपए का अनुमान लाया गया, जिसमें से 10 लाख रुपए इस्लामाबाद पुलिस चौकी को हुए नुकसान के लिए पहचाने जाने वाले लोगों से वसूले जाने हैं, एमडीए संपत्तियों को नुकसान के लिए 11.70 लाख रुपए, एमएनएन संपत्तियों को 6.80 लाख रुपए वसूले जाने है। इसके अलावा बर्बरता के दौरान आरएएफ और सीआरपीएफ वाहनों को नुकसान के लिए 35,000 रुपए वसूलने हैं।

बता दें कि 20 दिसंबर को मेरठ में CAA और NRC के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई। हिंसा में छह लोग मारे गए और दर्जनों घायल हो गए। इसमें सुरक्षाकर्मी भी शामिल थे। पुलिस ने हिंसा की जांच करने और बर्बरता में शामिल लोगों की पहचान करने के लिए एसआईटी का गठन किया। चार पुलिस स्टेशनों में कुल 24 मामले दर्ज किए गए, जिसमें 180 लोगों को आरोपी बनाया गया। पुलिस ने अब तक इस घटना के सिलसिले में 34 लोगों को गिरफ्तार किया है।

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