गैर-लाभकारी संगठन नारायण सेवा संस्थान की ओर से उदयपुर, राजस्थान में आयोजित 34 वें सामूहिक विवाह समारोह में 47 दिव्यांग और अभावग्रस्त जोड़े विवाह सूत्र में बंधे और इस तरह उन्होंने एक नई जिंदगी की शुरुआत की। सामूहिक विवाह समारोह में जीवन साथी बने इन जोड़ों ने दहेज प्रथा के उन्मूलन के लिए प्रतिज्ञा की। जीवन साथी बनने वाले दिव्यांग जोड़ों में से 30 से अधिक जोड़े ऐसे हैं, जिन्होंने नारायण सेवा संस्थान के सहयोग से करेक्टिव सर्जरी का लाभ उठाया है और इसके बाद वहां वोकेशनल ट्रेनिंग के जरिये अपना कौशल प्रशिक्षण पूरा किया है। इन लोगों को आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बनाने के लिए नारायण सेवा संस्थान ने उन्हें उनकी क्षमता के मुताबिक रोजगार भी उपलब्ध कराया है।

नारायण सेवा संस्थान के संस्थापक पद्मश्री कैलाश ‘मानव‘ अग्रवाल, कमलादेवी अग्रवाल, प्रेसीडेंट प्रशांत अग्रवाल और डायरेक्टर वंदना अग्रवाल ने 34 वें सामूहिक विवाह समारोह में विवाह सूत्र में बंधने वाले जोड़ों को आशीर्वाद दिया।

प्रतापगढ़ के रामूकुमारी और गणपत जैसे दंपतियों को सब लोगों ने एक आदर्श जोड़ा बताया। दोनों की जिंदगी में संघर्ष की राह तभी खुल गई थी, जब उनके सिर पर पिता का साया नहीं रहा। रामूकुमारी और गणपत की संघर्ष गाथा एक जैसी है। पोलियो ने उन्हें दिव्यांग की श्रेणी में ला खड़ा किया, पर उन्होंने जीवन से हार नहीं मानी। दोनों विवाह करके अपना घर बसाना चाहते थे, लेकिन दिव्यांगता उनकी इस चाहत की राह में रोड़ा बन गई थी। लेकिन नारायण सेवा संस्थान ने उन्हें जीवन साथी बनाने में सहायता की।

आज गणपत बहुत खुश है। उनका कहना है, ‘‘हम दोनों एक जोड़े के रूप में बहुत निराश थे और घर-गृहस्थी बसाने की सारी उम्मीद खो चुके थे। पर नारायण सेवा संस्थान हमारे जीवन के एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया, जहाँ हमने खुद को और एक साथी को पाया जो एक महान जीवन को आगे बढ़ाने के लिए सबसे अच्छा लगता है। हम इस कदम को आगे बढ़ाना चाहते हैं और ऐसे जोड़ों के लिए एक उदाहरण स्थापित करना चाहते हैं जो दहेज नहीं लेते हैं और अपने जीवन में एक नया चरण शुरू करते हैं। हम कहते हैं- ‘हमें दहेज नहीं चाहिए!‘

बाराबंकी के अरविंद और सोनम भी नारायण सेवा संस्थान के 34वें सामूहिक विवाह समारोह में विवाह सूत्र में बंधे हैं। रामूकुमारी और गणपत की तरह उन्होंने भी जीवन भर दहेज नहीं लेने की प्रतिज्ञा की है। जैसा कि सोनम कहती हैं, ‘‘इतनी सारी शारीरिक समस्याओं और आर्थिक तंगी के बाद एक उपयुक्त जीवनसाथी ढूंढना वास्तव में कठिन है। हम सामूहिक विवाह समारोह में शादी करके खुश हैं और उम्मीद करते हैं कि आगे भी अच्छा जीवन रहेगा। हम जानते हैं, यह आसान नहीं है लेकिन एक साथ हाथ पकड़कर हर बाधा पर विजय हासिल करना निश्चित तौर पर आसान है।‘‘

नारायण सेवा संस्थान ने अपनी स्थापना के बाद से अब तक 2051 से अधिक दिव्यांग और अभावग्रस्त दंपतियों के जीवन में उजाला लाने का प्रयास किया है।

सामूहिक विवाह समारोह के दौरान वे सभी महत्वपूर्ण संस्कार पूरे किए गए, जिनकी पालना आम तौर पर भारतीय विवाह समारोहों में की जाती है। इस दौरान सब कुछ बड़े पैमाने पर हुआ- जैसे वीडियोग्राफी, शादी के फोटो शूट, संगीत के साथ बारात का नाच-गाना, वगैरह। समारोह के दौरान, 47 जोड़ों को घरेलू सामान, साड़ी और हजारों लोगां का आशीर्वाद हासिल हुआ।

नारायण सेवा संस्थान के प्रेसीडेंट प्रशांत अग्रवाल ने कहा, ‘‘दिव्यांग लोगों के सामने शादी करते हुए अपना घर बसाना वाकई एक बहुत बड़ी चुनौती होती है। वित्तीय बाधाओं और शारीरिक कठिनाइयों के कारण शादी करना उन्हें बहुत मुश्किल लगता है। ऐसे में यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी बनती है कि हम सभी जोड़ों की जरूरतों को पूरा करें और उन्हें किसी भी अन्य जोड़े की तरह सामान्य जीवन जीने का एक उपाय पेश करें। बेशक इस मंच ने कई लोगों को अपने आत्मीय लोगों के साथ जुड़ने और एक ऐसे व्यक्ति को खोजने के लिए बनाया है जो दूसरे को अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए समर्थन करेगा। सामूहिक शादियों का मंच भविष्य में इन सभी जोड़ों के लिए एक अच्छा प्लेटफॉर्म साबित होगा, हम दिव्यांग लोगों के प्रति अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से निभाते हुए उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करने का एक मजबूत प्रयास कर सकेंगे।‘‘

पिछले 35 वर्षों से नारायण सेवा संस्थान ने दिव्यांग लोगों के लिए कृत्रिम अंग वितरण, कौशल शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, मुफ्त भोजन की पेशकश और सामूहिक विवाह समारोह के आयोजन किए हैं। इन प्रयासों से बड़ी संख्या में दिव्यांग लोगां के जीवन की गाड़ी दूसरे सामान्य लोगां की तरह ही सुगमता से आगे बढ़ने लगी है। ‘वर्ल्ड ऑफ ह्यूमैनिटी (डब्ल्यूओएच)’ के माध्यम से, हमारा प्रयास उनके खेल संबंधी कौशल को आगे बढ़ाने के साथ उन्हें निशुल्क सुधारात्मक सर्जरी उपलब्ध कराना और उन्हें कौशल शिक्षा प्रदान करना भी है।