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जनसम्पर्क से किसानों में पैठ बनाएगी यूपी कांग्रेस

लखनऊ: उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू जी ने कहा है कि हमारे प्रदेश की सबसे बड़ी आबादी की जीविका कृषि पर आधारित है किन्तु उनकी समस्या का कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है, हमारे देश का अन्नदाता किसान चहुंओर कठिनाइयांे से त्राहि-त्राहि कर रहा है। जबसे केन्द्र में मोदी और प्रदेश में योगी की सरकार बनी है तबसे राष्ट्रीय आय में कृषि का योगदान निरन्तर गिरा है और 2014-15 के मुकाबले 4.7प्रतिशत से घटकर आज 1.6 प्रतिशत पर आ गया है। भारतीय जनता पार्टी यह भूल चुकी है कि खुशहाल किसान ही खुशहाल भारत का निर्माण कर सकता है।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी जल्द ही पूरे सूबे में किसान अभियान शुरू करने जा रही है इस अभियान के तहत डेढ़ करोड़ किसानों तक कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता पहुंचकर जनसम्पर्क करेंगे। इस अभियान के तहत अवारा पशुओं की समस्या, धान खरीद, गन्ना मूल्य बकाया, आलू किसानों की समस्या, पराली जलाने पर किसानों पर हुए मुकदमें, बढ़े हुए बिजली मूल्य, किसान कर्जमाफी जैसे मुद्दे को लेकर तहसील से लेकर राजधानी लखनऊ तक योगी सरकार को घेरने का काम किया जायेगा। इस अभियान के तहत प्रदेश में करीब 15हजार नुक्कड़ सभाएं की जायेंगीं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव के दौरान किसानों से सरकार बनने के चैदह दिन के अन्दर गन्ना मूल्य के बकाये भुगतान का वादा किया था। सत्ता में आये हुए लगभग ढाई वर्ष से अधिक समय बीत चुका है लेकिन अभी तक पिछले वर्ष के बकाये का भुगतान नहीं किया गया है। एक पेराई सत्र बीत जाने के बाद दूसरे पेराई सत्र के बीत जाने पर भी गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं किया जा रहा है। सरकार के तमाम जनविरोधी निर्णयों से गन्ना किसानों की फसल का लागत मूल्य तो बढ़ गया है लेकिन उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है, यह योगी सरकार की किसान विरोधी रवैये को दर्शाता है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि किसानों की आय दुगुनी करने के लिए सबसे पहले लागत कम करना जरूरी है जो पिछले 6 वर्षों में बढ़कर दुगुने से अधिक हो गया है, उर्वरक, बीज, कीटनाशक, सिंचाई, डीजल, बिजली आदि के दामों में दो गुने से अधिक की वृद्धि हो चुकी है जबकि उस अनुपात में उसके उत्पाद का मूल्य नहीं बढ़ा है। लागत मूल्य, दैवीय एवं प्राकृतिक आपदा से नुकसान के अलावा अवारा पशुओं से फसल का नष्ट होना पहले के मुकाबले ज्यादा बढ़ा है। फसल बीमा के नाम पर सरकार केवल बीमा कंपनियों को मुनाफा पहुंचा रही है। बीमा कंपनियां प्रति किसान से 630रूपये से लेकर 750रूपये तक उसके खाते से प्रति छमाही वसूल रही है जबकि फसल नुकसान का भुगतान 75प्रतिशत से अधिक की पुष्टि होने पर करती है जो कि किसान साबित नहीं कर पाता है। परिणाम स्वरूप प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बीमा कंपनियों द्वारा किसान लूट योजना बनकर रह गयी है।

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