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लखनऊ के घंटाघर पर यौमे जम्हूरिया का जश्न, CAA का विरोध भी जारी

तौक़ीर सिद्दीक़ी

लखनऊ के तारीखी घंटाघर पर पिछले दस दिनों से नागरिकता संशोधन क़ानून और NRC के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है मगर गणतंत्र दिवस पर आज इस ऐतिहासिक स्थल का नज़ारा कुछ अलग था| विरोध प्रदर्शन के बावजूद आज यहाँ जश्न का माहौल था, जश्न यौमे जम्हूरिया का, जश्न संविधान के सम्मान का, जश्न देश की एकता और भाई चारे का| तिरंगे तो यहाँ पहले भी लहरा रहे थे मगर आज पूरा घंटाघर तिरंगामय हो गया था, प्रदर्शनकारी महिलाओं में ज़्यादा जोश था, आवाज़ दो हम एक हैं के नारे लग रहे थे और देशभक्ति के तराने गए जा रहे थे| प्रदर्शनकारी महिलाओं की आज बहुत बड़ी संख्या थी और जब सुबह झंडारोहण हुआ तो राष्ट्रगान की आवाज़ पूरे इलाक़े में गूँज गयी| भले ही प्रशासन द्वारा इन पर लगातार मुक़दमे दर्ज किये जा रहे हों, संगीन धाराएं लगाईं जा रही हों मगर इनके जोश को देखकर लगता नहीं कि यह अपने क़दम रोकेंगी या पीछे खींचेंगी| इन्हें यक़ीन है कि इनका विरोध रंग लाएगा| प्रदर्शन स्थल पर ऐसे लोग भी दिखे जिनकी काफी उम्र थी और चलने फिरने से भी माज़ूर थीं, इनमें से ही एक बेगम शाहिदा इक़बाल भी थीं जो पुराने लखनऊ के हैदरगंज इलाक़े से व्हीलचेयर पर आयी थीं, 72 बरस की उम्र में भी इनका जोश देखने लायक था, इनका कहना था कि यह यहाँ पर CAA और NRC के खिलाफ आवाज़ उठाने आयी हैं, यह कहती हैं हिन्दुस्तान हमारा था हमारा है और हमारा ही रहेगा, इसे हमारे पूर्वजों ने संवारा है| जब इनसे पूछा गया कि CAA नागरिकता देने का क़ानून है लेने का नहीं तो बोलीं यह झूठ बोल रहे हैं और लोगों को बहका रहे हैं, यह नारा भी लगाती " आवाज़ दो हम एक हैं" वह "जय हिन्द" का नारा लगाकर अपनी बात ख़त्म करती हैं|

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