दावोस: स्विट्जरलैंड में वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के सम्मेलन से इतर मंगलवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय कारोबार के अलावा कश्मीर मुद्दे पर भी चर्चा की। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वह कश्मीर के हालात पर करीबी नजर बनाए हुए हैं। इस दौरान ट्रंप ने 'मदद' की भी पेशकश की।

इमरान से हुई द्विपक्षीय मुलाकात में ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत-पाक चाहें तो वह दोनों देशों के बीच तनाव घटाने में मदद देने को तैयार हैं। ट्रम्प ने कहा, "हम कश्मीर और पाकिस्तान-भारत के साथ क्या हो रहा है इस बारे में बात कर रहे हैं। और अगर हम मदद कर सकते हैं, तो हम निश्चित रूप से मदद करेंगे।" उन्होंने कहा, "हम इसे बहुत करीब से देख रहे हैं और इसका अनुसरण कर रहे हैं।"

ट्रम्प पहले की तुलना में कश्मीर मुद्दे में संभावित भागीदारी के बारे में अपने शब्दों में सावधान थे। इससे पहले भी उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मदद के लिए दावा किया था। पिछले साल आखिरी बार जब इमरान और ट्रंप मिले थे तो अमेरिकी राष्ट्रपति ने कश्मीर में मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, भारत ने उसे पूरी तरह ठुकरा दिया था।

ट्रंप ने कहा कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच संबंध अब तक के सबसे करीबी रहे हैं। व्हाइट हाउस द्वारा जारी बयान के अनुसार, खान ने सुझाव दिया कि वाशिंगटन भारत के साथ मुद्दों को हल करने में भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा, "हमारे लिए पाकिस्तान में यह एक बड़ा मुद्दा है। और निश्चित रूप से हम हमेशा उम्मीद करते हैं कि अमेरिका इसे सुलझाने में अपनी भूमिका निभाएगा क्योंकि कोई ये काम अन्य देश नहीं कर सकता है।"

इस बीच जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या वह आने वाले समय में पाकिस्तान दौरे पर जाएंगे तो उन्होंने कहा कि अभी तो हम (वह और इमरान) साथ-साथ बैठे हुए हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि हम लोग ज्यादा व्यापार कर रहे हैं, कुछ बॉर्डर पर हम साथ में काम कर रहे हैं। पाक प्रधानमंत्री ने ट्रंप से अफगानिस्तान के हालात पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान दक्षिण एशिया में शांति स्थापना का पक्षधर है। वह क्षेत्र में स्थिरता लाने की दिशा में योगदान देता रहेगा।

गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने कश्मीर का जिक्र किया है। इससे पहले भी वह कश्मीर में मध्यस्थता का प्रस्ताव रख चुके हैं। पिछले साल सितंबर में डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, 'पाकिस्तान और भारत के संबंध में हमने कश्मीर के बारे में बात की और मैं जो भी सहायता कर सकता हूं, उसकी मैंने पेशकश की और वह मदद मध्यस्थता है। मैं जो कर सकता हूं वह करूंगा, क्योंकि वे बहुत गंभीर परिस्थिति में हैं और आशा है वे बेहतर स्थिति में हो जाएंगे।'

भारत ने हमेशा कहा है कि कश्मीर द्विपक्षीय मामला है और वह इसे आपसी बातचीत से सुलझाना चाहता है। भारत शुरू से कश्मीर पर किसी तीसरे देश की भूमिका का विरोध करता रहा है। दरअसल, 1972 के शिमला समझौते के कारण भारत कश्मीर में किसी भी तीसरे पक्ष की भागीदारी या दोनों देशों के बीच अन्य विवादों का विरोध कर रहा है जिसमें दोनों देश अपने विवादों से द्विपक्षीय रूप से निपटने के लिए सहमत हुए थे।