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गुजरात में दलित लड़की से गरेप, पेड़ पर लटकाया शव

नई दिल्ली: गुजरात में एक 19 वर्षीय दलित लड़की का अपहरण कर उसके साथ गैंगरेप किया गया और फिर उसकी हत्या कर उसके शव को पेड़ से लटकाया दिया गया है। शव को बरगद के पेड़ पर लटकाया गया है। शव को पेड़ से लटकाने के पीछे आरोपियों की मंशा थी कि ये आत्महत्या का केस लगे।

घटना उत्तरी गुजरात के मोडासा जिले के सायरा गांव की है। इस मामले को लेकर ट्विटर पर पीड़िता के लिए न्याय की मांग की जा रही है। ट्विटर पर पीड़िता के लिए लोग हैशटैग चलाकर लोग इंसाफ मांग रहे हैं। हैशटैग के साथ तकरीबन 18 हजार लोगों ने ट्वीट किया है। (पीड़िता का नाम नहीं बताने के लिए हैशटैग का इस्तेमाल नहीं किया गया है)

'द वायर'में छपी रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ किडनैपिंग, गैंगरेप और हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। पीड़िता के परिवार का आरोप है कि पुलिस ने लड़की के किडनैप होने पर एफआईआर दर्ज नहीं किया था। पीड़ित परिवार का कहना है कि एक जनवरी से उसकी बेटी गायब थी लेकिन जब वह रिपोर्ट लिखवाने गए तो पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया था।

पीड़िता के पिता का कहना है कि पुलिस ने लड़की के शव मिलने के बाद एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की है। पीड़ित परिवार ने कहा कि पीड़िता अपनी बहन के साथ मोडासा गई थी लेकिन वापस नहीं लौटी। बाद में बहन ने बताया कि बिमल भारवाड़ नाम के एक व्यक्ति ने अपनी कार पर बैठा लिया और उसे इसके बारे में किसी को ना बताने की धमकी दी। यह घटना सीसीटीवी फुटेज में कैद हो गई थी। फुटेज में देखी गई कार बिमल के पिता भरत भारवाड़ के नाम पर पंजीकृत पाई गई थी।

बिमल ने महिला के परिवार को बताया कि उसके कार उसके तीन दोस्तों, दर्शन भारवाड़, सतीश भारवाड़ और जिगर ने ली थी। 3 जनवरी को मोडासा पुलिस स्टेशन में निरीक्षक एन.के. रबारी ने महिला के परिवार को सूचित किया कि उसने अपने समुदाय के एक व्यक्ति से शादी कर ली है और वापस आ जाएगी। दोनों ने शादी कर ली थी इसलिए केस दर्ज करने की जरूरत नहीं थी।

कुछ दिन बाद 5 जनवरी को, गांव के एक पुजारी ने पेड़ से लटकी एक महिला के बारे में बताया, जिसे बाद में महिला के दादा ने पहचान लिया। 7 जनवरी को पुलिस ने चार लोगों बिमल भरवाड़, दर्शन भरवाड़, सतीश भरवाड़ के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।

एफआईआर दर्ज होने के बाद परिवारवालों ने लड़की का शव लेने से मना कर दिया था। उनका कहना था कि ये आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या है। इसके बाद शव को अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। हजारों दलितों के थाने के बाहर प्रदर्शन करने के बाद इस केस में आईपीसी और एससी एसटी एक्ट की धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ है।

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