नई दिल्ली: महाराष्ट्र में विधानसभा में सरकार बनाने में नाकामी अब जिला परिषद चुनाव में बुरा हाल है। महाराष्ट्र में भाजपा नासिक और कोल्हापुर जिला परिषदों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा के गठबंधन के हाथों हार गई।

अब पूर्व सीएम देवेंद्र फड़नवीस, केंद्रीय गृह मंत्री नितिन गडकरी और आरएसएस मुख्यालय में यानी नागपुर में भाजपा हार गई। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के गांव धापेवाड़ा में भी बीजेपी उम्मीदवार की हार हुई है। कांग्रेस इस चुनाव में 31 सीटों पर जीत के साथ अकेली सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के पैतृक गांव नागपुर जिले के धापेवाडा में जिला परिषद (जिप) सीट से बुधवार को भाजपा उम्मीदवार हार गए। एक निर्वाचन अधिकारी ने यह जानकारी दी। कांग्रेस उम्मीदवार महेंद्र डोंगरे ने मंगलवार को धापेवाडा सीट पर हुए चुनाव में भाजपा उम्मीदवार मारुति सोमकुवर पर जीत दर्ज की।

अधिकारी ने बताया कि डोंगरे को 9,444 मत जबकि सोमकुवर को 5,501 मत मिले। जिप धापेवाडा सर्किल (सीट) तीन कार्यकाल से भाजपा के पास थी। इस बार जिले की कलमेश्वर तालुका सीट अनुसूचित जाति (एससी) उम्मीदवारों के लिए सुरक्षित थी। नागपुर जिला परिषद में 58 सर्किल (सीटें) हैं जहां मंगलवार को मतदान हुआ था और मतगणना बुधवार को हुई।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का गांव धपेवाड़ा नागपुर में ही पड़ता है। माना जाता है कि इस इलाके में नितिन गडकरी की वजह से बीजेपी की मजबूत पकड़ है। जिला परिषद चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार महेंद्र डोंगरे को जीत मिली है। धापेवाड़ा सीट से महेंद्र डोंगरे अच्छे मतों के साथ चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। एक तरफ जहां महेंद्र डोंगरे को 9,444 वोट मिले, वहीं बीजेपी प्रत्याशी मोमकुवर को महज 5,501 वोट ही हासिल हुए। जिला परिषद की धापेवाड़ा सीट तीन बार से बीजेपी के ही कब्जे में थी।

महाराष्ट्र में पांच जिलों में जिला परिषद चुनावों से पहले कांग्रेस ने शुक्रवार को अपनी स्थानीय इकाइयों को गठबंधन में शामिल होने के लिए कहा और घोषणा की कि कांग्रेस, शिवसेना के साथ साझेदारी में चुनाव लड़ेगी। महाराष्ट्र में भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन सत्ता में है।

अगले महीने नागपुर, वाशिम, अकोला, नंदुरबार और धुले में जिला परिषद चुनाव होने वाले हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख बालासाहेब थोराट के बयान के अनुसार, ‘‘चुनाव में सहयोगी दलों के साथ गठबंधन करने के लिए स्थानीय पदाधिकारियों को अधिकृत किया गया है। कांग्रेस शिवसेना के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी।’’ महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री थोराट ने पार्टी की चुनावी तैयारी पर चर्चा करने के लिए यहां एक समीक्षा बैठक में यह बात कही। इस बैठक में जिला पार्टी नेताओं ने भाग लिया।

हालांकि भाजपा सांगली जिला परिषद में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद बचाने में कामयाब रही जहां शिवसेना के सदस्यों ने उसका समर्थन करने का फैसला किया। जिला परिषदें अहम स्थानीय निकाय हैं और कई बार तो उन्हें ‘मिनी मंत्रालय’ (मिनी सचिवालय) भी कहा जाता है। ऐसा उनकी शक्तियों की वजह से कहा जाता है। भाजपा-शिवसेना का गठबंधन खत्म होने के बाद तीन जिला परिषदों में राजनीतिक समीकरणों में बदलाव आया है।

कोल्हापुर और नासिक में, शिवसेना ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव के दौरान कांग्रेस और राकांपा से हाथ मिला लिया। नासिक में शिवसेना के बालासाहेब क्षीरसागर अध्यक्ष और राकांपा के सयाजी गायकवाड़ उपाध्यक्ष बने हैं। वहीं, कोल्हापुर जिला परिषद में कांग्रेस के बजरंग पाटिल अध्यक्ष बने हैं जबकि राकांपा के सतीश पाटिल उपाध्यक्ष बने हैं। सांगली में, भाजपा के प्रजाकता कोरे और शिवाजी डोंगरे अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बने हैं, क्योंकि शिवसेना के तीन सदस्यों ने भाजपा के लिए मतदान किया।