नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ जमीअत उल्माए हिन्द ने आज सुप्रीम कोर्ट में रिट पेटिशन दाखिल कर दी है जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह क़ानून संविधान के मूल सिद्धांत के खिलाफ है और इससे नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन होता है इसलिए इस एक्ट को रद्द कर देना चाहिए| पेटिशन में यह महत्वपूर्ण बिंदु भी उठाया गया है यह क़ानून संविधान की धारा 14 और 21 के खिलाफ है| इस एक्ट में ग़ैरक़ानूनी शरणार्थियों की परिभाषा में धर्म को आधार बनाकर भेदभाव किया गया है और उसको सिर्फ मुसलमानों पर लागू किया है जबकि हिंदू सिख बुद्धिष्ट जैन पारसी को ग़ैरक़ानूनी शरणार्थियों के दायरे से बाहर कर दिया गया जोकि संविधान की धारा 14 से परस्पर विरोधी है| इसके अतिरिक्त भारत के संविधान का मूलभूत ढांचा सेक्युलरिज़्म पर आधारित है, इस एक्ट में मूल आधार को चोट पहुंचे गयी है |

पेटिशन में इस एक्ट के नतीजे में असम में nrc लिस्ट से बाहर होने वाले को नागरिकता का अधिकार मिल जायेगा जबकि सिर्फ मुसलमानों को यह अधिकार नहीं मिलेगा जोकि भेदभाव पर आधारित है| इन सभी तर्कों के साथ जमीअत की ओर से एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड इरशाद हनीफ ने डॉक्टर राजीव धवन से मशविरा के बाद रिट पेटिशन दाखिल की| जमीअत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस केस की पैरवी राजीव धवन ही करेंगे|

पेटिशन दाखिल होने के बाद प्रतिक्रिया देते हुए जमीअत उल्माए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीअत का शुरू से यह मानना रहा है कि जिन मुद्दों का हल राजनीतिक रूप से न निकल सके उसके खिलाफ क़ानून का रास्ता अपनाया जाय| बहुत से मामलों में जमीअत ने ऐसा किया है और कई महत्वपूर्ण मामलों में उसे अदालत से इन्साफ भी मिला है इसलिए इसी विश्वास और आशा के साथ यह पेटिशन दाखिल की गयी है कि अदालत मामले की संगीनी और पेटिशन में उठाये गए सभी बिंदुओं पर बारीकी से करके अपना निर्णय सुनाएगी|

मौलाना मदनी ने कहा कि अब बेतुका तर्क दिया जा रहा है की यह क़ानून लोगों को नागरिकता देने का है लेने का नहीं लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है| इस क़ानून के निहितार्थ आगे चलकर इस देश के लिए बहुत खतरनाक सिद्ध होंगे| उन्होंने कहा कि जब देश भर में NRC लागू होगी तो उस क़ानून के निहितार्थ अपनी भयानक शक्ल में सामने आएंगे और तब जो लोग किसी कारण अपनी नागरिकता सिद्ध नहीं कर सकेंगे उनके लिए यह क़ानून तबाही व बर्बादी साबित होगा|

मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि इस क़ानून के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन शुरू हो चूका है और लोग धर्म से ऊपर उठकर इसका विरोध कर रहे हैं यहाँ तक कि आसाम और पूर्वोत्तर राज्यों में सरकार के सभी आश्वासनों के बावजूद जनता सडकों पर उतरकर इस क़ानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं| देश के विश्विद्यालयों और शैक्षिक संस्थाओं के छात्र भी एक होकर इस क़ानून के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं|

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह सकारात्मक निशानी है लेकिन क़ानूनी लड़ाई भी ज़रूरी है और उसी मद्देनज़र जमीअत उल्माए हिन्द ने आज अपनी पेटिशन दाखिल की है| उन्होंने आगे कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है जमीअत की ओर से इस केस की पैरवी डॉक्टर राजीव धवन करेंगे जो संविधान विशेषज्ञ भी हैं|