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सावरकर ने दिया था धर्म के आधार पर बंटवारे का विचार

अमित शाह के दावे को इतिहासकारों ने किया ख़ारिज

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन विधेयक को लोकसभा ने सोमवार को मंजूरी दे दी। इस विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है। शाह ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि अगर इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होता तो उन्हें विधेयक लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। शाह के मुताबिक, कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का बंटवारा किया।

लोकसभा में यह बिल सत्ता पक्ष के दबदबे के बीच पास हो गया। हालांकि, संसद के बाहर एक धड़े ने इस विधेयक पर तीखी प्रतिक्रिया दी। लालकृष्ण आडवाणी के नजदीकी माने जाने वाले सुधींद्र कुलकर्णी ने ट्वीट करके कहा, ‘संसद के इतिहास में शायद ही कभी हमने किसी सीनियर मंत्री को एक काले कानून का बचाव करने के लिए इस तरह से सफेद झूठ बोलते देखा हो। कांग्रेस ने धर्म के आधार पर न तो देश का विभाजन किया और न ही इसे स्वीकार किया। ऐसा मुस्लिम लीग ने किया। कांग्रेस भारत के सेक्युलर राष्ट्र बने रहने के प्रति कटिबद्ध रही, बीजेपी नहीं।’

वहीं, इतिहासकार एस इरफान हबीब ने ट्वीट करके लिखा, ‘सदन में आप ऐसी बातें उस वक्त करते हैं जब आप तथ्यों पर आधारित इतिहास को पढ़ने या समझने की जहमत नहीं उठाते।’ वहीं, एक अन्य इतिहासकार एस राघवन ने राम मनोहर लोहिया की किताब ‘गिल्टी मेन ऑफ इंडियाज पार्टिशन’ का हवाला देते हुए लिखा, ‘इस बारे में कोई संदेह न रहे। जिन्होंने सबसे ज्यादा जोरशोर से अखंड भारत के लिए आवाज उठाई, वर्तमान जनसंघ और हिंदुत्व से जुड़े गैर हिंदू भाव वाले पूर्ववर्तियों ने देश के बंटवारे में ब्रिटेन और मुस्लिम लीग की मदद की।’

एक अंग्रेजी अखबार ने संघ परिवार के आराध्य विनायक दामोदर सावरकर के 1923 के लिखे निबंध हिंदुत्व का हवाला देकर बताया है कि सावरकर ने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना से भी काफी पहले द्विराष्ट्र सिद्धांत की पैरवी की थी। यह निबंध जिन्ना की ओर से यह विचार पेश करने से 16 साल पहले प्रकाशित हुआ था। बता दें कि मुस्लिम लीग ने लाहौर में 1940 में पाकिस्तान रिजॉल्यूशन को स्वीकार किया था। वहीं, लोकसभा में मनीष तिवारी ने शाह के उस दावे को खारिज किया, जिसके मुताबिक देश के विभाजन के लिए कांग्रेस जिम्मेदार थी।

तिवारी ने कहा कि टू नेशन थ्योरी सावरकर ने दी थी। तिवारी ने कहा, ‘सरकार जानती है कि यह कानून क्यों लाया जा रहा है, हम जानते हैं कि यह कानून क्यों लाया जा रहा है, जनता जानती है कि यह कानून क्यों लाया जा रहा है। इतिहास में ऐसी घटनाएं दर्ज हैं जहां एक गलती की सजा कई पीढ़ियों ने भुगता है। आज आप वैसी ही गलती कर रहे हो।’

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