नई दिल्ली: देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट का दौर जारी है। बता दें कि मौजूदा वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में विकास दर 4.5% रही, जो कि बीते 6 सालों में सबसे कम है। इससे पहले वित्तीय वर्ष 2012-13 की पहली तिमाही में विकास दर 4.3 प्रतिशत रही थी। शुक्रवार को जारी हुए राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है। अर्थव्यवस्था में इस गिरावट की बड़ी वजह देश के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में आयी गिरावट का माना जा रहा है। बता दें कि बीते वित्तीय वर्ष में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 6.9% थी, जो कि मौजूदा वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में घटकर -1.0 तक पहुंच गई है। बेरोजगारी बढ़ने में भी मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में आयी गिरावट को अहम माना जा रहा है, क्योंकि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर ही सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाला सेक्टर है।

मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के अलावा कृषि, मतस्य पालन, इलेक्ट्रिसिटी, सर्विस सेक्टर और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है। पिछले माह सितंबर में बुनियादी क्षेत्र के आठ उद्योगों का उत्पादन सालाना आधार पर 5.1 प्रतिशत गिरा था जो एक दशक का सबसे सुस्त प्रदर्शन था। आठ प्रमुख उद्योगों में से छह – कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, सीमेंट, स्टील और बिजली क्षेत्र में अक्टूबर में गिरावट दर्ज की गयी है।

देश में कोयला उत्पादन अक्टूबर में 17.6 प्रतिशत, कच्चा तेल उत्पादन 5.1, प्रतिशत और प्राकृतिक गैस का उत्पादन 5.7 प्रतिशत गिरा है। इस दौरान सीमेंट उत्पादन 7.7 प्रतिशत, स्टील 1.6 प्रतिशत और बिजली उत्पादन 12.4 प्रतिशत गिर गया। समीक्षावधि में सिर्फ उवर्रक क्षेत्र में सालाना आधार पर 11.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी। वहीं रिफाइनरी उत्पादों की वृद्धि दर घटकर 0.4 प्रतिशत पर आ गयी जो पिछले साल इसी माह में 1.3 प्रतिशत थी।

अक्टूबर 2018 में बुनियादी क्षेत्र के इन आठ उद्योगों के उत्पादन में 4.8 प्रतिशत की बढ़त देखी गयी थी। इस साल अप्रैल-अक्टूबर अवधि में बुनियादी क्षेत्र के आठ उद्योगों की वृद्धि दर गिरकर 0.2 प्रतिशत रही जो पिछले साल इसी अवधि में 5.4 प्रतिशत थी। आंकड़ों के बारे में रेटिंग एजेंसी इक्रा ने कहा कि बुनियादी क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के आधार पर अक्टूबर 2019 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में और संकुचन हो सकता है।

माना जा रहा है कि कृषि और मैन्यूफैक्टरिंग सेक्टर की गिरावट का असर रोजगार के अवसर कम होने के रुप में दिखाई देगा। लोगों की औसत आय में भी कमी आएगी और राजस्व भी घटेगा। संभावना है कि इस मंदी के हालात से निपटने के लिए आरबीआई अपनी रेपो रेट में फिर से कमी कर सकता है। इसके साथ ही सरकार पांच पीएसयू कंपनियों में विनिवेश से 75,500 करोड़ रुपए जुटाएगी।