नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन के इस्तेमाल का मामला फिर सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल करके मांग की है कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह किसी भी चुनाव के अंतिम फैसले की घोषणा से पहले वोट डेटा का वास्तविक और सटीक सामंजस्य स्थापित करे. याचिकाकर्ता ने 2019 के लोकसभा चुनाव परिणामों से संबंधित आंकड़ों में सामने आईं ऐसी सभी गड़बड़ियों की जांच की भी मांग की है.
चुनाव आयोग की चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर चिंता जताते हुए याचिका में कहा गया है कि कई मौकों पर चुनाव आयोग ने 2019 के लोकसभा चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद अपनी वेबसाइट के साथ-साथ अपने ऐप, ‘माई वोटर्स टर्नआउट ऐप' में मतदान का डेटा बदल दिया था.
याचिका में चुनाव आयोग (ईसी) पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि डेटा में कई बदलाव गड़बड़ियों को छिपाने का प्रयास हो सकता है. विशेषज्ञों की एक टीम ने याचिकाकर्ताओं के साथ-साथ विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में डाले गए मतों की संख्या और गिने गए मतों की संख्या के बीच गड़बड़ियों पर शोध किया. यह शोध दो दिनों – 28 मई और 30 जून 2019 को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के साथ-साथ 'माय वोटर्स टर्नआउट ऐप 'पर आधारित था.
याचिका में कहा गया है कि इन दो आंकड़ों पर याचिकाकर्ता के निष्कर्ष निकला है कि 542 निर्वाचन क्षेत्रों में, 347 सीटों पर मतदान और मतगणना में विसंगतियां थीं. विसंगतियां एक वोट से 1,01,323 वोटों तक हुई हैं. 6 सीटें ऐसी हैं, जहां वोटों में विसंगति जीत के अंतर से अधिक है. विसंगतियों के कुल वोट 7,39,104 हैं.
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