लखनऊ: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) की राज्य इकाई ने उन्नाव में शनिवार को किसानों पर हुए बर्बर लाठीचार्ज की कड़ी निंदा की है।
पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने रविवार को जारी बयान में कहा कि किसानों की जमीन के मुआवजे की मांग को योगी सरकार दमन के बल पर दबाना चाहती है। कृषि संकट से परेशान, कर्जों के बोझ से लदे और बेमौसम की बारिश से लुटे-पिटे किसान एक तरफ आत्महत्याएं कर रहे हैं, वहीं उनकी आजीविका के एकमात्र श्रोत खेती की जमीन भी सरकारें औने-पौने दामों पर अधिग्रहित कर लेती हैं और जब किसान बाजार दर पर मुआवजे की मांग करते हैं, तो उन्हें लाठियां मिल रही हैं। संवेदनहीनता की भी हद है। सरकार जब उद्योगपतियों को बड़े-बड़े राहत पैकेज व करोड़ों-अरबों की खैरात (बेल आउट) दे सकती है, तो अपनी जमीनें गंवाने वाले किसानों को क्यों नहीं!
उन्होंने कहा कि आंदोलित किसानों से बातचीत करने, उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने और उनकी परेशानियों को समझते हुए सहायता करने की जगह लाठी और हवाई फायरिंग की भाषा में बात करना निहायत ही अलोकतांत्रिक कदम है। यह तो ठांय-ठांय वाली संस्कृति का हिस्सा है जो योगी सरकार में धड़ल्ले से चल रही है। उन्होंने कहा कि किसान ही नहीं, शिक्षा-रोजगार की मांग करने वाले छात्र-नौजवान भी दमन का सामना कर रहे हैं। प्रदेश में आदिवासियों की पुश्तैनी जमीनें भी छीनी जा रही हैं और विरोध करने पर उनका दमन हो रहा है।
माले नेता ने उन्नाव मामले में किसानों पर दर्ज मुकदमे हटाने, उचित मुआवजा व आर्थिक पैकेज देने अथवा अधिग्रहित जमीन लौटाने और लाठीचार्ज के जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।
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