आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की कार्यकारिणी मीटिंग में कॉमन सिविल कोड, तीन तलाक़ मुद्दों पर अहम फैसले

मोहम्मद आरिफ नगरामी

लखनऊ: आल इंण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की हंगामी मीटिंग आज दारूल उलूम नदवतुलउलमा में मौलाना राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में हुई जिसमें कार्यकारिणी के 51 में से 35 सदस्यों ने शिरकत की। मीटिंग के बाद पर्सनल ला बोर्ड के सेक्रेटरी मौलाना उमरैन महफूज रहमानी ने बताया कि बोेर्ड की मीटिंग में यह तय किया गया कि बाबरी मस्जिद- राम जन्म भूमि मुकदमे में जो भी फैसला सुप्रीम कोर्ट करेगा उसको बोर्ड मानेगा, वैसे भी बोर्ड का शुरू दिन से ही यही मानना रहा है कि हम अदालत का आदेश मानेंगे। उन्होंने कहा कि बोर्ड के वकीलों राजीव धवन, मीनाश्री अरोड़ा, जफरयाब जीलानी और उनकी पूरी टीम ने बहुत मेहनत और सबूतों के साथ मुकदमा लड़ रहे हैं जिससे हम लोगों को यकीन है कि जीत आखिर में सच की होगी। उन्हें कहा कि मीटिंग में यह कहा गया है कि शरई तौर पर मस्जिद जहां एक बार बन गई वह ता कयामत मस्जिद ही रहती है। उन्होंने कहा कि गुम्बद के नीचे गर्भ गृह का शोशा पहले नहीं था यह शोशा 1989 के बाद छोड़ा गया है।

मौलाना उमरैन महफूज रहमानी ने कहा कि इधर कुछ दिनों से बातचीत की कोशिश हो रही है जो कि गलत है। उन्होंने सवाल किया कि बातचीत की कोशिश में सिर्फ मुसलमानों से ही क्योंकि कहा जाता है कि वह विवादित जगह हिंदुओं के हवाले कर दे। आखिर हिंदुओं से क्यों नहीं कहा जाता है कि वह उस मस्जिद को मुसलमानों को दे दें । उन्होंने कहा कि कई बार दोनों पक्षों के मध्य बातचीत की कोशिशें हुई मगर उसका कोई नतीजा नहीं निकला।

उन्होंने कहा कि कॉमन सिविल कोड हिंदुस्तान जैसे बहु धार्मिक देश में लागू नहीं किया जा सकता है क्योंकि कई तरह की जुबान बोेली जाती है कई धर्मों के लोग रहते है। उनकी संस्कृति और सभ्यता अलग है। धर्म अलग है और हर धर्म का मानने वाला अपने धर्म पर अमल कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मुसलमानों का मसला नहीं है। बल्कि मुल्क में रहने वाले लाखों कबाइलों का है हजारों अकलियतों का है। इसलिए हिंदुस्तान में कॉमन सिविल कोड लागू करना मुम्किन है। उन्होंने बताया कि ‘‘तीन तलाक़ ’’ एक्ट हमको ना मंजूर है। इस एक्ट को हम सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेंगे क्योंकि यह एक्ट ख्वातीन के लिए ठीक नहीं है यह एक्ट मर्द और औरत दोनों के लिए नुकसान देह है। उन्होंने कहा कि एकट के क्रीमनल एक्ट बना देना गलत है इसलिए इस एक्ट को हम सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेंगे।

मीटिंग में मौलाना राबे हसनी, मौलाना अरशद मदनी, मौलाना वली रहमानी, जफरयाब जीलानी, मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली, मौलाना खालिद सैफ उल्लाह रहमानी वगैरह ने शिकरत की।