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45 लाख कर्मचारियों को साबित करनी पड़ेगी अपनी उपयोगिता!

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र सरकार 45 लाख कर्मचारियों की व्यापक उपयोगिता की समीक्षा के लिए बड़ पैमाने पर एक और कवायद कर रहे हैं. उन्होंने 88 मंत्रालयों और विभागों के सभी कर्मचारियों की समीक्षा का आदेश दिया है. इससे पहले किसी भी प्रधानमंत्री ने सरकार की कार्यबल भर्ती योजना की समीक्षा करने के लिए इस पैमाने पर कवायद नहीं की थी.

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के सूत्रों का कहना है कि यह बेरोजगारी को दूर करने और नई भर्तियों को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है. इस प्रशासनिक सुधार से नई नौकरियां सृजित होंगी क्योंकि समय बदल गया है और पुराने ढर्रे पर चले रहे कार्यबल को हटाना होगा. कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने 17 सितंबर को एक अधिसूचना जारी की है जो कार्मिक समीक्षा विभाग की वेबसाइट के एक कोने में है.

इसमें कहा गया है कि कार्यबल नियोजन और नीतियों को तैयार करने के लिए सरकार में विभिन्न सेवाओं या संवर्ग अथवा और पद का प्रोफाइल आवश्यक है. इसके मद्देनजर सभी मंत्रालयों और विभागों को 30 सितंबर तक आवश्यक जानकारी पेश करने की आवश्यकता है. भविष्य को ध्यान में रखते हुए सभी 45 लाख कर्मचारियों को उनकी नौकरी की उपयोगिता और उद्देश्य के प्रति जिम्मेदार होना होगा. उनमें से प्रत्येक कर्मचारी को लिखित में अपनी उपयोगिता समझाना होगा.

विभागों को बताना होगा कि उन्हें इतनी बड़ी संरचना की आवश्यकता क्यों है. हालांकि, इन विभागों के लिए निर्धारित समयसीमा एक दिन पहले समाप्त हो गई है.

केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति उम्र कम करने और उनकी गतिहीनता कम करने और पदोन्नति में तेजी लाने के लिए उनकी सेवा अवधि में संशोधन पर विचार कर रही है. हालांकि, यह बहुत प्रारंभिक अवस्था में ही है. इसका मुख्य मकसद सरकारी खर्च को कम करना है.

प्रधानमंत्री कार्यालय में उन कर्मचारियों को सेवानिवृत्त करने का प्रस्ताव भी घूम रहा है, जिन्होंने जिन्होंने 33 साल की सेवा पूरी कर ली है अथवा 58 साल की उम्र तक पहुंच चुके हैं, इनमें से जो भी पहले हो. खर्च विभाग इस प्रस्ताव के वित्तीय प्रभाव का आकलन कर रहा है. फिलहाल अधिकांश सेवाओं में सेवानिवृत्ति उम्र 60 साल है जबकि शिक्षण और चिकित्सा पेशेवरों के लिए यह उम्र 65 साल है. बाद की श्रेणी प्रभावित नहीं हो सकती है.

हालांकि एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यदि वे सेवा जारी रखना चाहते हैं, तो उनके वेतन पर असर पड़ सकता है. दिलचस्त बात यह है कि 2018-19 के आर्थिक सर्वेक्षण में भारत में बढ़ती जीवन प्रत्याशा को सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने का मजबूत आधार बताया गया है.

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