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J&K शासन ने माना, Article 370 के बाद 144 नाबालिग हिरासत में लिए गए!

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रदेश में 9 से 17 साल के बीच की उम्र के 144 नाबालिगों को कानून के साथ संघर्ष के चलते गिरफ्तार किया गया। इनमें से बहुत से नाबालिगों को हिरासत केंद्रों में रखा गया। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त होने के बाद ये कार्रवाई अमल में लाई गई। पुलिस और अन्य एजेंसियों से मिली जानकारियों का हवाला देते हुए कमेटी ने बताया कि इनमें 142 नाबालिगों को पहले ही रिहा किया जा चुका है जबकि दो अभी भी जुवेनाइल होम्स में हैं।

उल्लेखनीय है कि बाल अधिकार कार्यकर्ता इनाक्क्षी गांगुली और सांता सिन्हा की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी से अवैध रूप से हिरासत में लिए गए नाबालिगों के मामले में संज्ञान लेने और एक रिपोर्ट जमा करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस अली मोहम्मद ने राज्य के विभिन्न एजेंसियों और सबओर्डिनेट अदालतों से रिपोर्ट मांगी।

कमेटी को सौंपी स्टेट डीजीपी की रिपोर्ट कहती है कि अवैध रूप से किसी भी नाबालिग को हिरासत में नहीं लिया गया। रिपोर्ट में कहा गया, ‘किसी भी नाबालिग को पुलिस अधिकारियों द्वारा अवैध हिरासत में नहीं रखा गया क्योंकि यहां किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है।’

जेजे कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि उसे नाबालिग बच्चों की अवैध हिरासत के मामले में एक भी याचिका नहीं मिली, लेकिन यह भी कहा कि हाई कोर्ट में कुछ हेबियस कॉर्पस याचिकाएं थीं, जिनमें हिरासत में लिए गए को नाबालिग कहा गया था। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि इसकी देखरेख के लिए नोडल ऑफिसर के रूप में एडीजीपी रैंक का एक अफसर नियुक्त भी नियुक्त किया गया है।

रिपोर्ट में कहती है, ‘जिला स्तर पर एक-एक अधिकारी को नामित किया गया है और यह सुनिश्चित किया गया है कि हर पुलिस स्टेशन में एक जुवेनाइल पुलिस अधिकारी भी हो।’

इसी बीच पिछले सप्ताह जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अपना नजरबंदी आदेश वापस ले लिया और पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत गिरफ्तार किए गए चार नाबालिगों में से एक को रिहा कर दिया। नाबालिग को सात सप्ताह तक उत्तर प्रदेश की बरेली जेल में रखा गया था। प्रदेश प्रशासन ने यह निर्णय ऐसे समय में लिया जब उसके परिजनों ने सरकार के इस आदेश को जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में चुनौती दी। जिसपर कोर्ट ने अनंतनाग जिला प्रशासन को मामले में दखल देने को कहा।

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