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उद्योगपतियों और सरकार के बीच अविश्वास बढ़ा है: अजय पिरामल

नई दिल्ली: पिरामल समूह के प्रमुख और जाने माने उद्योगपति अजय पिरामल ने कारोबारियों के खिलाफ सरकारी एजेंसियों की ओर से छापेमारी और लुकआउट नोटिस जारी किए जाने के मामलों की रफ्तार बढ़ने की आलोचना की है। अजय पिरामल ने शुक्रवार को कहा कि इससे कारोबारी समुदाय के मन में अविश्वास बढ़ रहा है। पिरामल ने जापानी निवेशक सॉफ्टबैंक के उनकी एनबीएफसी कंपनी के साथ प्रस्तावित सौदे से पीछे हटने की खबरों पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार किया।

कारोबारी मौहाल पर पिरामल ने यह बात ऐसे समय कही है जब एलएंडटी के ए . एम . नाइक समेत अन्य कारोबारी भी चिंता जता चुके हैं। हालांकि , कॉरपोरेट कर में कटौती से कारोबार को लेकर उद्योग जगत में आशा बढ़ी है। पिरामल ने यह टिप्पणी ऐसे समय की है जब नियामक और जांच एजेंसियों ने जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल को विदेश जाने से रोका और वीडियोकॉन समूह के प्रवर्तकों पर छापे आदि की कार्रवाई की। अजय पिरामल ने वर्ल्ड हिंदू इकोनॉमिक फोरम में कहा, “आज मैं देख रहा हूं कि सत्ता में बैठे लोग और पूंजी सृजनकर्ताओं (कारोबारी एवं निवेशकों) के बीच अविश्वास बढ़ रहा है, दूरियां आ रही हैं।”

उन्होंने जोर देकर कहा, “यदि आप पर कोई अपराध करने का आरोप है तो क्या जरूरत है कि उसे अपराधी ठहराया जाए या अपराधीकरण किया जाए? जब पहले से ही काफी सूचनाएं उपलब्ध हैं, आंकड़े उपलब्ध हैं, तो क्या छापेमारी की जरूरत है? लुकआउट नोटिस जारी करने की जरूरत है? यह किसी भी कारोबारी के लिए सकारात्मक संकेत नहीं है।” उद्योगपति ने कहा कि “जो महत्वपूर्ण है वह यह है कि धन-सृजन करने वालों को वह सम्मान मिले, जिसके वे हकदार हैं।”नकदी संकट को लेकर पिरामल ने कहा कि मौजूदा समय में पूंजी की उपलब्धता भी देश के लिए एक चुनौती है।

कुछ बड़ी कंपनियों द्वारा नकदी संकट का सामना किए जाने का सीधे तौर पर जिक्र न करते हुए पिरामल ने कहा कि पूंजी की उपलब्धता एक ऐसी बड़ी चुनौती है, जिसका सामना देश को करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि ऊंची ब्याज दरें भी एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि यह निर्यात में प्रतिस्पर्धा को खत्म कर देता है। पिरामल के मुताबिक, ऊंची ब्याज दरों की वजह से निवेश और उपभोग पर भी असर पड़ रहा है।

बता दें कि पिरामल ने ये बातें ऐसे वक्त में कही हैं जब ऑटोमोबाइल और एफएमसीजी सेक्टरों को डिमांड में कमी की समस्या से जूझना पड़ रहा है। वहीं, नए निवेश में भी कमी आई है, जिसकी वजह से जीडीपी विकास दर पर असर पड़ा है। सरकार ने भी सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए बीते कुछ वक्त में कई कदम उठाए हैं। इनमें सबसे बड़ी राहत उद्योग जगत को कार्पोरेट टैक्स में कटौती के तौर पर दी गई है।

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