लखनऊ: चकबंदी विभाग का राजस्व विभाग में विलय को लेकर राजस्व विभाग के कर्मचारियों एवं अधिकारियों घमासान मचा गया है। इस विलय के खिलाफ राजस्व विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों ने आज एक महासंघ का गठन कर इस विलय की सम्भावना के मद्देनजर आरपार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। इस परिपेक्ष्य मंें डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ लोक निर्माण विभाग के प्रेक्षागृह में आयोजित पत्रकार वार्ता में तहसील/नायब तहसीलदार संघ के प्रदेश अध्यक्ष निखिल शुक्ला,महामंत्री अनुराग सिंह,लेखपाल संघ के प्रदेश महामंत्री ब्रजेश श्रीवास्तव, राजस्व निरीक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अरविन्द शर्मा, महामंत्री जितेन्द्र सिंह, अमीन संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष समर बहादुर सिंह ने बताया कि अपर मुख्य सचिव राजस्व विभाग द्वारा अध्यक्ष राजस्व परिषद को प्रेषित एक पत्र में चकबंदी विभाग के राजस्व विभाग में विलय/प्रतिनियुक्ति सम्बंधी मागें गए अभिमत/ प्रस्ताव का जोरदार विरोध प्रदेश के लगभग 40 हजार अधिकारी कर्मचारी कर रहे है। उन्होंने कहा कि अगर यह विलय किया गया तो राजस्व विभाग का उक्त समूह अक्टूबर माह में सड़क पर उतरने के लिए मजबूर होगा।

उन्होंने बताया कि पूर्व में तत्कालीन राजस्व मंत्री अम्बिका चैधरी के कार्यकाल में चकबंदी विभाग का विलय राजस्व विभाग में कराने का काफी प्रयास किया जा चुका है, किन्तु कर्मचारी संगठनों के विरोध तथा राजस्व अधिकारियों की पदोन्नति एवं जेष्ठता सम्बंधी खतरे के चलते उक्त प्रयास असफल रहे। कर्मचारी संगठनों के नेताओं ने कहा कि दोनों विभागों का अपना अपना महत्व है। निस्तारण में और भी जटिलताएं उत्पन्न होगी वही कर्मचारियोंकी जेष्ठता एवं पदोन्नति के मार्ग अवरूद्ध होगें। उन्होंने यह भी बताया कि शासन स्वंय मान रहा है कि चकबंदी विभाग में भ्रष्टाचार व्याप्त है,इसे दूर किये जाने की आवश्यकता है, किन्तु इसका हल किसी विभाग का विलय या समायोजन ,आमेलन या प्रतिनियुक्ति से नही हो सकता। वैसे भी उत्तर प्रदेश में बहुत बड़ा कृषि क्षेत्र है। जहाॅ छोटी छोटी जोते,मिनजुमला जोतें विद्यमान हैं जिन्हें चकबंदी के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।

प्रत्येक 20 वर्षों में चकबंदी प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। इधर वास्तविकता यह है कि प्रदेश में 1100 ग्रामों में अभी भी प्रथम चक्र की चकबंदी प्रक्रिया प्रारम्भ नही सकी है। इन ग्रामों में लगभग 100 वर्ष (1925) का बन्दोबस्त (अभिलेख) मौजूद है। इन अभिलेखों के नवीनीकरण न होने से भूमि विवाद होते रहते है। चकबंदी प्रक्रिया से निवासियों को, विद्यालय, चकमार्ग,बंजर नाली, ऊसर, चरागाह,खलिहान, खेल मैदान आदि सार्वजनिक उपयोग की भूमियाॅ उपलब्ध कराई जाती है।चकबंदी प्रक्रिया एक तकनीकी/ विशेषीकृत प्रक्रिया है, जिस की प्रदेश में अतीव आवश्यकता है। राजस्व विभाग में पहले ही नायब तहसीलदारों के 1234 पदों के सापेक्ष 1000 पद, राजस्व निरीक्षकों के 4281 पदों के सापेक्ष 1000 पद रिक्त है। चकबंदी विभाग के विलय के बाद राजस्व विभाग के काम काज में गैर अनुभवी कर्मचारी अधिकारियों का विलय हो जाएगा परिणाम स्वरूप प्रदेश में चकबंदी प्रक्रिया पूरी तरह समाप्त हो जाएगी और ऐसे में भूमि विवाद कम से कम दो गुणा बढ़ जाएगे। उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग के विशिष्ठ दायित्वों/महत्व के दृष्टिगत लेखपाल,सग्रह अमीन का प्रारम्भिक ग्रेड 2800 रूपये (लेविल-5), राजस्व निरीक्षक ग्रेड पे 4200 ( लेविल-6) व नायब तहसील ग्रेड पे 4800 (लेविल-8) किया जाए। इसके अलावा महासंघ के पदाधिकारियों ने यह भी मांग रखी है कि राजस्व निरीक्षक,नायब तहसीलदार, तहसीलदार व डिप्टी कलेक्टर के पदों पर तत्काल डीपीसी कराई जाई।