लखनऊ: भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने कहा है कि अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर योगी सरकार ने प्रदेश की 17 ओबीसी जातियों को एससी का प्रमाणपत्र जारी करने का जो आदेश निर्गत किया था, उस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा रोक लगा दिये जाने से भाजपा सरकार के सामाजिक न्याय के नाटक का पर्दाफाश हुआ है। साथ ही, आगामी उपचुनावों में राजनीतिक फायदा उठाने की उसकी कोशिशों पर भी पानी फिरा है।

पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि योगी सरकार द्वारा 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति (एससी) में शामिल कर उन्हें इसका प्रमाणपत्र जारी करने का गत 24 जून का आदेश राजनीतिक स्टंटबाजी थी, जिसका मकसद बिना कुछ किये इन वंचित जातियों का समर्थन हासिल करना था। उन्होंने कहा कि योगी सरकार को ऐसा आदेश जारी करते समय अच्छी तरह मालूम था कि न्यायिक परीक्षण में वह टिक नहीं पायेगा, क्योंकि ऐसा निर्णय करना सिर्फ संसद के अधिकार क्षेत्र में है।

माले नेता ने कहा कि यदि भाजपा वंचित जातियों को सामाजिक न्याय देने के प्रति ईमानदार होती, तो प्रदेश व केंद्र में उसकी सरकार होने के नाते इसके लिए उचित प्रावधान कर संसद से पारित कराती। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय देने की बात तो दूर, भाजपा की केंद्र व प्रदेश सरकार में दलितों और आदिवासियों का उत्पीड़न बढ़ा है और उनकी बड़े पैमाने पर बेदखली हो रही है।