लंदन : ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर होने के मुद्दे पर यहां सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा। ब्रिटिश संसद में ब्रेक्जिट प्रस्‍ताव पर कई बार हार का सामना करने के बाद थेरेसा मे ने पिछले दिनों इस्‍तीफा दे दिया था, जिसके बाद बोरिस जॉनसन कंजरवेटिव पार्टी के नेता चुने गए और उन्‍होंने प्रधानमंत्री पद की कमान संभाली। ब्रेक्जिट के मुद्दे पर अपेक्षाकृत सख्‍त माने जा रहे जॉनसन के सत्‍ता संभालने के बाद भी हालांकि यहां इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक खींचतान की स्थिति बनी हुई है।

ब्रेक्जिट पर अहम मतदान से ठीक पहले कंजरवेटिव पार्टी के एक नेता ने दल-बदल कर लिया है, जिसके कारण जॉनसन की सरकार के पास हाउस ऑफ कॉमन्‍स में कामकाज के लिए आवश्‍यक बहुमत नहीं रह गया है। दल-बदल करने वाले कंजरवेटिव सांसद फिलिप ली का कहना है कि जॉनसन की सरकार ब्रेक्जिट के मुद्दे पर सैद्धांतिक तरीके से आगे नहीं बढ़ रही है और इसलिए इसने कई लोगों के जीवन व जीव‍िका को खतरे में डाल दिया है। फिलिप ली कंजरवेटिव पार्टी से अलग होकर लिबरल डेमोक्रेट में शामिल हो गए हैं, जो यूरोपीय संघ (EU) की समर्थक है। ली ब्रैकनेल से सांसद हैं।

ब्रेक्जिट पर सख्‍त माने जाने वाले जॉनसन ने 31 अक्‍टूबर तक हर हाल में ब्र‍िटेन के यूरोपीय संघ से बाहर हो जाने की बात कही है, भले ही इसके लिए डील हो या नहीं। हालांकि ब्रिटेन के बहुत से सांसद पीएम के इस फैसले का समर्थन नहीं कर रहे हैं और इसमें जॉनसन की टोरी पार्टी के सांसद भी हैं। फिलिप ली सहित टोरी पार्टी के कई सांसदों ने विपक्षी सांसदों के साथ मिलकर एक बिल का मसौदा तैयार किया है, ताकि यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर होने को लेकर समझौता नहीं हो पाने की स्थिति में ब्रेक्जिट के लिए समय सीमा बढ़ाकर 31 जनवरी, 2020 किया जा सके, जब तक कि सांसद नए डील को मंजूरी नहीं दे देते हैं।