नई दिल्ली: असम के 19 लाख से ज्यादा लोगों में देश के पांचवें राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के परिवार वाले भी शामिल हैं। कामरूप जिले के रंगिया में रहने वाले पूर्व राष्ट्रपति के दिवंगत भाई एकरामुद्दीन अली अहमद के बेटे जियाउद्दीन के परिवार का नाम लिस्ट में नहीं है,इसके कारण वह सदमे में हैं।

पिछले साल जुलाई में जारी किए गए एनआरसी ड्राफ्ट में भी उनका और उनके परिवार नाम नहीं था. जियाउद्दीन का कहना है कि मैं भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति भतीजा हूं और मेरा नाम एनआरसी की लिस्ट में नहीं है।

बता दें जिन्हें लिस्ट में जगह नहीं मिली है वे इसके खिलाफ अपील आगे अपील कर सकते हैं। जिन्हें लिस्ट में जगह नहीं मिल पाई है वे फॉरेन ट्राइब्यूनल से हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक एनआरसी में जगह नहीं मिलने पर अपील कर सकते हैं।

यह भी बताया जा रहा है कि अपील के लिए समयसीमा 60 से बढ़ाकर 120 दिन कर दी गई है। जिससे अब 31 दिसंबर, 2019 अपील के लिए लास्ट डेट होगी। गृह मंत्रालय के आदेश के तहत करीब 400 ट्राइब्यूनल्स का गठन एनआरसी के विवादों के निपटारे के लिए किया गया है।

बता दें कि गृह मंत्रालय ने साफ़ किया है कि एनआरसी लिस्ट में अपना नाम नहीं पाने का यह बिलकुल भी मतलब नहीं है कि लोगों को विदेशी घोषित कर दिया जाएगा। इस स्थिति में लोग फॉरेन ट्राइब्यूनल के समक्ष अपना केस रखा सकते हैं। इसके अलावा राज्य सरकार ने यह भी साफ़ किया है कि फॉरेन ट्राइब्यूनल्स का फैसला आने तक एनआरसी लिस्ट से बाहर रहने वाले लोगों को किसी भी परिस्थिति में हिरासत में नहीं लिया जाएगा।

फॉरेन ट्राइब्यूनल में भी कोई अपना केस हार जाता है तो फिर वह हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है। इन सभी विकल्पों के आजमाने के बाद ही लोगों को हिरासत में लिया जा सकता है। उससे पहले उन्हें छूट मिलती रहेगी।