नई दिल्ली: आर्थिक मंदी से सबसे ज्यादा प्रभावित ऑटो सेक्टर है। लाखों कर्मचारियों की नौकरियां जाने की खबरें आ चुकी हैं। वहीं, घटती डिमांड की वजह से बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों को अपना प्रोडक्शन कम करना पड़ा है। इसी क्रम में टाटा मोटर्स ने अपने पिंपरी चिंचवाड़ प्लांट में 28 से 31 अगस्त तक दोबारा से ‘ब्लॉक क्लोजर’ का फैसला लिया है। चार दिन तक प्लांट के बंद होने की वजह से करीब 4500 कर्मचारियों को घर बैठना होगा।

अगस्त में यहां दूसरी बार कामकाज रोकना पड़ा है। इसका सीधा असर छोटे उद्योगों पर पड़ सकता है जिसमें 2000 तक कर्मचारी काम करते हैं। हालांकि, कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि चिंता की कोई जरूरत नहीं है और सब कुछ जल्द ही ‘टॉप गियर’ में आ जाएगा। बता दें कि इससे पहले 5 अगस्त से 10 अगस्त के बीच भी टाटा मोटर्स को काम रोकना पड़ा था। वहीं, कंपनी की 3 सितंबर से 6 सितंबर के बीच भी काम रोकने की योजना है।

टाटा मोटर्स के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘यह सभी ऑटोमोबाइल मेकर्स और दुपहिया वाहन निर्माताओं के लिए आम बात है।’ उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है, जब काम रोकना पड़ा हो। प्रवक्ता ने कहा, ‘सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिससे ऑटो सेक्टर को प्रोडक्शन दोबारा से बढ़ाने में मदद मिलेगी। त्योहारों का मौसम आ रहा है, जिस वक्त लोग आम तौर पर नई गाड़ियां खरीदते हैं। हम इस दौरान डिमांड में तेजी आने की उम्मीद कर रहे हैं।’

हालांकि, प्रवक्ता ने कहा कि पूरा पिंपरी चिंचवाड़ प्लांट बंद होने नहीं जा रहा। उन्होंने बताया, ‘दूसरे ब्लॉक और डिपार्टमेंट पहले की तरह चलते रहेंगे। मेंटेनेंस डिपार्टमेंट, डिजाइन सेक्शन और कुछ दूसरे विभाग काम करते रहेंगे।’ बता दें कि ‘ब्लॉक क्लोजर’ के दौरान कर्मचारियों को आधे दिन की सैलरी मिलती है। 4500 कर्मचारियों को न केवल घर पर बैठना होगा, बल्कि 500 अन्य स्टाफर्स को भी फोर्स लीव पर जाना होगा।

एक सूत्र ने बताया, ‘उनमें से कुछ शर्तिया तौर पर कंपनी के परिसर में मौजूद रहेंगे। हालांकि, स्टाफरों को कोई सैलरी नहीं मिलेगी। जबकि कंपनी के कर्मचारियों को आधे दिन की सैलरी मिलती रहेगी।’ एक अन्य सूत्र ने बताया कि इस प्लांट में कार के पांच से छह मॉडल जबकि ट्रकों के सात से आठ मॉडल बनते हैं। फोरम ऑफ स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज असोसिएशन के प्रेसिडेंट अभय भोर ने बताया कि सिर्फ पिंपरी चिंचवाड़ में ही 20 हजार कर्मचारियों पर असर पड़ेगा।