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भारतीय राजनीति की प्रखर वक्ता और कुशल नेता सुषमा स्वराज का निधन

नई दिल्ली: पूर्व विदेश मंत्री एवं भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज का मंगलवार रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 67 वर्ष की थीं। सुषमा स्वराज की पार्थिव शरीर बुधवार को तीन घंटे के लिए भाजपा मुख्यालय में रखा जाएगा जहां पार्टी कार्यकर्ता और नेता उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सुषमा स्वराज के निधन पर मंगलवार को गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय राजनीति के एक गौरवशाली अध्याय का अंत हो गया।
पिछले ही साल सुषमा स्वराज ने ये ऐलान किया था कि वो साल 2019 का चुनाव नहीं लड़ेंगी. इस घोषणा के बाद सुषमा के पति और पूर्व राज्यपाल स्वराज कौशल ने कहा था, ''एक समय के बाद मिल्खा सिंह ने भी दौड़ना बंद कर दिया था. आप तो पिछले 41 साल से चुनाव लड़ रही हैं.''

67 साल की सुषमा राजनीति में 25 बरस की उम्र में आईं थीं. सुषमा के राजनीतिक गुरु लाल कृष्ण आडवाणी रहे थे. अपने ट्वीट्स में उन्होंने लिखा है, ''भारतीय राजनीति का एक महान अध्याय ख़त्म हो गया है. भारत अपने एक असाधारण नेता के निधन का शोक मना रहा है, जिन्होंने लोगों की सेवा और गरीबों की ज़िंदगी बेहतर के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. सुषमा स्वराज जी अनूठी थीं, जो करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत थीं. सुषमा जी अद्भुत वक्ता और बेहतरीन सांसद थीं. उन्हें सभी पार्टियों से सम्मान मिला. बीजेपी की विचारधारा और हित के मामले में वो कभी समझौता नहीं करती थीं. बीजेपी के विकास में उन्होंने बड़ा योगदान दिया.''

जेपी नड्डा ने बताया कि सुषमा स्वराज का पार्थिव शरीर बुधवार 12 बजे से तीन बजे तक अंतिम दर्शन के लिए पार्टी कार्यालय में रखा जाएगा. इसके बाद लोधी रोड के क्रेमेटोरियम में राष्ट्रीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

सुषमा स्वराज एक प्रखर और ओजस्वी वक्ता, प्रभावी पार्लियामेंटेरियन और कुशल प्रशासक मानी जाती हैं. एक वक़्त था जब बीजेपी में अटल बिहारी वाजपेयी के बाद सुषमा और प्रमोद महाजन सबसे लोकप्रिय वक्ता थे. फिर बात संसद की हो या सड़क की. सुषमा स्वराज की गिनती बीजेपी के डी(दिल्ली)-फ़ोर में होती थी.

बीते चार दशकों में वे 11 चुनाव लड़ीं, जिसमें तीन बार विधानसभा का चुनाव लड़ीं और जीतीं. सुषमा सात बार सांसद रह चुकी हैं. इमरजेंसी के दिनों में बड़ौदा डायनामाइट केस में फंसे जार्ज फ़र्नांडिस ने जेल में ही रहकर मुज़फ़्फरपुर से चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया था.

तब सुषमा स्वराज ने हथकड़ियों में जकड़ी उनकी तस्वीर दिखा कर ही पूरे क्षेत्र में प्रचार किया. जब चुनाव परिणाम आया तो जॉर्ज दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद थे.

राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि साल 2013 में नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनने से रोकने की लाल कृष्ण आडवाणी की मुहिम में वे आडवाणी के साथ थीं. इस मुहिम में उन्होंने आखिर तक आडवाणी का साथ दिया. पर 2014 में मोदी की जीत के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

इंदिरा गांधी के बाद सुषमा स्वराज दूसरी ऐसी महिला थीं, जिन्होंने विदेश मंत्री का पद संभाला था.

बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ट्विटर पर काफ़ी सक्रिय रहती थीं. फिर चाहे विदेश में फंसे लोगों की मदद करना हो या लोगों का पासपोर्ट बनवाना.

कुछ मौक़ों पर छोटी बातों पर मदद मांगते लोगों को सुषमा ने मज़ाकिया अंदाज़ में डांट भी लगाई थी.

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