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नयी तकनीक का इस्तेमाल कर शिक्षा को दें नया आयाम : सचिन गुप्ता

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय मथुरा ने तीन दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्र गान एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। इसके बाद सरस्वती वंदना की मधुर धुन के साथ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कुलाधिपति श्री सचिन गुप्ता ने कार्यक्रम का विधिवत आरम्भ किया। उद्द्घाटन के दौरान ओ एस डी श्रीमती मीनाक्षी शर्मा, एडवाइजर श्री अनिल माथुर, कुलपति डॉ. राणा सिंह एवं डीन मैनेजमेंट डॉ कल्याण कुमार मौजूद रहे।

कुलाधिपति श्री सचिन गुप्ता ने कहा कि विश्वविद्यालय को नयी ऊंचाई तक ले जाने में सबसे बड़ा योगदान शिक्षकों का होता है। कुलाधिपति महोदय ने सभी शिक्षकों को पूरी जिम्मेदारी के साथ शिक्षण तथा शोध के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने यह भी कहा कि पूरा विश्व और भारत तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रहा है। तेजी से बदल रहे राष्ट्रीय एवम अंतर राष्ट्रीय परिदृश्य में सफलता प्राप्त करने के लिए हमें आधुनिक तकनीकों का शिक्षण प्रक्रिया में इस्तेमाल कर उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए दृढ प्रतिज्ञ रहना होगा।

उप कुलाधिपति श्री राजेश गुप्ता ने अपने सन्देश में कहा कि संस्कृति विश्वविद्यालय पूर्व की भांति इस वर्ष भी फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन कर शिक्षकों को शिक्षा के नए तकनीकों एवं प्रक्रियाओं से शिक्षकों को अवगत करा रहा है।

एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री पी सी छाबड़ा ने सभी शिक्षकों को शिक्षण एवं शोध के साथ ही छात्रों के मेंटरशिप प्रक्रिया पर बल देते हुए कहा कि शिक्षक की भूमिका छात्र के करियर को एक नयी ऊंचाई तक पहुंचाने में अहम् होती है।

कुलपति प्रोफेसर डॉ राणा सिंह ने सभी शिक्षकों को शिक्षण के साथ ही शोध, प्रकाशन, उद्यमिता, उन्नयन, गुणवत्ता प्रबंधन, गुणवत्ता आश्वासन इत्यादि विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा कर सभी शिक्षकों को हर क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।

नेक्टर फैक्टर के फाउंडर बेनी कीन्हा ने तीन घंटे के विस्तृत उद्बोधन में सभी शिक्षकों को तनाव मुक्त रहते हुए एवं तनाव रहित वातावरण में छात्रों को उच्च स्तरीय शिक्षा एवं कौशल प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स प्रदान किये। उन्होंने कहा की हर छात्र की बौद्धिक क्षमता एवं मानसिक क्षमता अलग होती है तथा इस बात को ध्यान में रख कर शिक्षकों को अपनी शिक्षण प्रक्रिया प्रणाली में पर्याप्त बदलाव लाकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर छात्र सफलता की ऊंचाइयों को प्राप्त कर सके।

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