ऑल इंडिया जेम एंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल (जीजेसी) ने सोने के आयात शुल्क को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी किए जाने को निराशाजनक और दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है; जिससे देश में सोना और महंगा हो जाएगा। जीजेसी ने तत्काल इस कदम को वापस लेने और सोने पर आयात शुल्क में और कमी की मांग की है। जीजेसी ने कहा है कि इससे स्वदेशी जेम एंड ज्वैलरी उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिसमें मुख्य रूप से दस्तकारी और श्रम गहन कारीगर शामिल हैं। घरेलू क्षेत्र में आभूषणों के विनिर्माण में लगे 55 लाख से अधिक कुशल श्रम बल के नकारात्मक रूप से प्रभावित होने की संभावना है।
जीजेसी के चेयरमैन श्री अनंत पद्मनाभन ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले केंद्रीय बजट से स्वदेशी रत्न और आभूषण व्यवसाय को बहुत निराशा हुई हैं। यह मेक इन इंडिया के अनुरूप नहीं है। सोने के लिए सीमा शुल्क में वृद्धि, जो कि हमारा मूल कच्चा माल है, जीएसटी के साथ मिलकर सोने को अधिक महंगा बना देगा और तस्करी को प्रोत्साहित करेगा। वास्तविक और कानून का पालन करने वाले व्यवसायी प्रभावित होंगे! जीजेसी ने गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम (जीएमएस) को अधिक प्रभावी बनाने और सरकार और नागरिकों को बड़े पैमाने पर लाभान्वित करने का सुझाव दिया था लेकिन इसका कोई उल्लेख नहीं है। सोने की कीमतों में तेज बढ़ोतरी और अस्थिरता ज्वैलर्स की समस्याओं को और बढ़ाएगी।’

पहले चालू खाता घाटे को भरने के लिए सोने पर 10 फीसदी आयात शुल्क लगाया गया था। हालांकि अब, 2019 में भारत का व्यापार घाटा जीडीपी के 2.5 फीसदी तक सीमित हो गया है। सोने पर शुल्क में कमी से देश में अन्य सामाजिक और आर्थिक खतरे कम हो सकते हैं। 24,000 टन तक के फैमिली गोल्ड रिजर्व को खोलने और सीएडी को कम करने में मदद करने के लिए, जीजेसी ने आग्रह किया कि सरकार को गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत कम से कम 500 ग्राम सोना पैतृक प्रकृति के तहत रखने दिया जाना चाहिए, इस पर किसी भी अन्य विभाग द्वारा पूछताछ किए जाने से छूट दी जानी चाहिए।’
जीजेसी के वाइस चेयरमैन श्री शंकर सेन ने कहा, ‘सरकार ने स्क्रूटनी से फंड / निवेश प्राप्त करने के लिए स्टार्ट-अप को छूट दी है, लेकिन रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के व्यवसायों को न तो फंड मिलता है और न ही निवेश होता है, लेकिन यह हमेशा जांच के दायरे में आता है। अस्तित्व के लिए लड़ रहे ज्वैलर्स ग्रे मार्केट डीलिंग की ओर बढ़ेंगे। जहां तक बजट के सकारात्मक पक्ष की बात है, जीजेसी एक मिशन शुरू करने के लिए सरकार की पहल का स्वागत करता है जो दुनिया के बाजारों में प्रतिभाशाली कारीगरों की मदद करेगा।’

सरकार ने 400 करोड़ रुपए के वार्षिक राजस्व के साथ कॉर्पोरेट्स के लिए कर की दर 25 फीसदी प्रस्तावित की है। रत्न और आभूषण उद्योग में अधिकांश खिलाड़ी या तो भागीदारी (एलएलपी सहित) या प्रोपराइटरशिप फर्म हैं। इस क्षेत्र में विनिर्माण को बढ़ावा देने और भारत सरकार की ’मेक इन इंडिया’ पहल का समर्थन करने के लिए, आभूषण निर्माण मशीनों का आयात शुल्क 0 फीसदी होना चाहिए।

जीजेसी ने सरकार से अनुरोध किया था कि अगर नई ज्वैलरी के रूप में निवेश करने के लिए पुरानी ज्वैलरी को बेचा जाता है तो आयकर अधिनियम 1961 की धारा 54 एफ के अनुसार कैपिटल गेन से छूट को रत्न एवं आभूषण उद्योग तक बढ़ाया जाना चाहिए। इससे उद्योग को संगठित और विनम्र व्यवसाय प्रथाओं की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी। पुरानी ज्वैलरी या पुराने सोने से नए आभूषणों के रीमेक करने के मामले में, 18 फीसदी जीएसटी शुल्क लागू है। जीएसटी की उच्च दर के कारण, ग्राहक इस विकल्प को आजमाने के लिए अनिच्छुक हो जाता हैं। ऐसे में ग्राहक के पास पुरानी ज्वैलरी को बेचना और नई ज्वैलरी खरीदने का दूसरा विकल्प ही रह जाता है। हालांकि, जब तक कैपिटल गेन्स टैक्स शामिल है, ग्राहक इस विकल्प के लिए संकोच में रहेंगे।

जीजेसी ने प्रमुख ग्राहक-अनुकूल पहल का प्रस्ताव किया है जैसे कि कैपिटल गेन्स से छूट; नकद सीमा और पैन कार्ड की सीमा में वृद्धि; वीकेंड पर ईएमआई सुविधा का विस्तार और एनईएफटी / आरटीजीएस की उपलब्धता।

जीजेसी ने पैन कार्ड की सीमा 2 लाख रुपए से बढ़ा कर 5 लाख रुपए की जाने की सिफारिश की। कई घरों में विशेष रूप से कृषि क्षेत्र में बहुतों के पास पैन कार्ड नहीं हैं। इसलिए, वे आवश्यकता होने पर इसे प्रस्तुत करने में कठिनाई का सामना करते हैं।

जीजेसी ने सरकार से आग्रह किया कि 2018 के बजट में वित्त मंत्री द्वारा एसेट क्लास के रूप में घोषित किए जाने के बाद से ईएमआई की सुविधा को रत्न और आभूषण उद्योग तक बढ़ाया जाना चाहिए। वर्तमान में, आभूषणों की खरीद पर ऋण को व्यक्तिगत ऋण के रूप में माना जा रहा है, जहां ब्याज की दर बहुत अधिक है। आभूषणों की खरीद के लिए ईएमआई उपलब्ध होनी चाहिए और प्रतिबंध केवल बुलियन और काॅइन के लिए ही होना चाहिए। इससे उद्योग को संगठित और विनम्र व्यवसाय प्रथाओं की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी।

हाल के दिनों में, यह देखा गया है कि अधिक लेनदेन ऑनलाइन हो रहे हैं। इसके अलावा, अधिकांश खरीदारी रविवार और सार्वजनिक अवकाशों पर होती है जहां बैंकिंग चैनल जैसे एनईएफटी/ आरटीजीएस उपलब्ध नहीं हैं। जीजेसी ने आग्रह किया कि एनईएफटी / आरटीजीएस सुविधा छुट्टियों और रविवार को उपलब्ध होनी चाहिए जब ग्राहकों द्वारा अधिकतम खरीद होती है।

जीजेसी ने छोटे और मध्यम स्तर के ज्वैलर्स के लिए आसान बैंक वित्तपोषण मानदंडों की भी मांग की थी। जीजेसी ने रिटेल स्टोर के माध्यम से ज्वैलर्स को अशोक चक्र सोने के सिक्के बेचने में सक्षम बनाने का अनुरोध किया। इससे ज्वैलर्स की पहुंच बढ़ेगी और सिक्कों की अधिक बिक्री होगी।