लखनऊ: भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने पत्रकार प्रशांत को फौरन रिहा करने के न्यायालय के आदेश पर कहा है कि सत्ता के अहंकार में चूर योगी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से सबक मिला है।

सोमवार को यहां जारी बयान में पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि योगी सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले कर रही है। उसकी कार्रवाइयां इंदिरा शासन के आपातकाल की याद दिलाने लगी हैं। 'द वायर' के पूर्व पत्रकार प्रशांत कन्नौजिया की ट्वीट की आड़ में दिल्ली से यूपी पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी ऐसी ही कार्रवाई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से स्पष्ट है कि पत्रकार की गिरफ्तारी बिना उचित कारण के की गई। यह योगी सरकार द्वारा कानून का दुरुपयोग है और वह इसके जरिए लोकतंत्र के चौथे खम्भे को धमकाना चाहती है। लेकिन उसे नहीं भूलना चाहिए कि अतीत में जिन भी शासकों ने ऐसा दुस्साहस किया, उन्हें मुंह की खानी पड़ी। माले नेता ने प्रशांत की तरह गिरफ्तार अन्य पत्रकारों को भी अविलंब रिहा करने की मांग की।

बयान में राज्य सचिव ने कहा कि योगी सरकार कानून का शासन कायम करने में फेल हो गई है। पूरे प्रदेश में बच्चियों और महिलाओं के साथ गैंगरेप, हत्या, हिंसा की बाढ़ आई हुई है। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर योगी सरकार के दावे थोथे साबित हुए हैं। अलीगढ़ के टप्पल, जालौन, हमीरपुर, कुशीनगर जैसी घटनाओं से प्रदेशवासी बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। जगह-जगह प्रतिवाद हो रहे हैं। लोग सड़कों पर उतरकर न्याय व सुरक्षा मांग रहे हैं। लेकिन सरकार के रवैये के चलते अपराध रुकने की जगह बढ़ते ही जा रहे हैं मानो गुजरे आम चुनाव में भाजपा की पुनर्वापसी के बाद अपराधियों के हौसले बुलंद हो गये हैं।