मुंबई : संविधान की धारा 370 के निराकरण पर अपना स्टैंड क्लियर करते हुए शिव सेना ने गुरुवार को कहा कि कश्मीर किसी भी सूरत में मुसलमानों को तोहफे के रुप में नहीं दिया जाएगा। शिव सेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया है कि घाटी में कुल जनसंख्या में मुसलमानों की आबादी 68.35 फीसदी है जबकि हिंदुओ की आबादी 28.45 फीसदी है। इसका मतलब ये कतई नहीं है कि कश्मीर मुसलमानों को तोहफा स्वरुप दे दिया जाए।

वे भी भारतीय हैं और देश का कानून उन पर भी लागू होना चाहिए। इसके लिए धारा 370 का निराकरण होना चाहिए। धारा 370 जम्मू कश्मीर को एक स्पेशल स्टेटस प्रदान करता है जो इसकी संप्रभुता की रक्षा करता है। इसके साथ ही इसे अपनी जरुरत के हिसाब से अपना कानून बनाने की इजाजत देता है।

इसके साथ ही शिव सेना ने गृह मंत्री अमित शाह की जम्मू कश्मीर में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की प्रशंसा भी की। शाह ने 4 जून को जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक, आईबी के निदेशक रैजीव जैन और गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की थी जिसमें लंबित पड़े इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा की।

सामना के संपादकीय लेख में कहा गया कि समय बदल रहा है और अमित शाह ने कश्मीर मुद्दे को प्राथमिकता के तौर पर जगह दी है। शाह ने दिल्ली में कश्मीर मुद्दे पर बैठक आयोजित कर साफ कर दिया है कि कश्मीर पर केंद्र का रुख क्या है। परिसीमन पर भी इस बैठक में चर्चा की गई थी। यह आसान नहीं होगा लेकिन ये अच्छा है कि अमित शाह ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।

राज्य में अब तक मुसलमानों को खुश रखने के लिए फायदे की राजनीति की गई। परिसीमन का हमेशा विरोध किया गया ताकि को भी हिंदू मुख्यमंत्री यहां नहीं बन सके। भारतीय चुनाव आयोग ने 4 मई को कहा कि इस साल के अंत तक जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव आयोजित कराए जायेंगे। । अमरनाथ यात्रा खत्म होने के बाद चुनाव के तारीखों की घोषणा की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि 2000 में तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने ही राष्ट्रीय नेताओं के सरकारी आवास को उनके निधन के बाद स्मृति स्थल के रूप में घोषित करने पर रोक लगाने का फैसला किया था। इस फैसले को बरकरार रखते हुये मोदी सरकार ने अक्तूबर 2014 में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के 12, तुगलक रोड, स्थित बंगले को स्मृति स्थल घोषित करने की रालोद अध्यक्ष अजीत सिंह की मांग को खारिज कर दिया था।

सरकार द्वारा पुनगर्ठित मंत्रिमंडलीय समितियों में आवास संबंधी समिति में शाह, बतौर गृह मंत्री सदस्य हैं। केन्द्रीय मंत्रियों एवं अन्य आला अधिकारियों को दिल्ली में सरकारी आवास मुहैया कराने से जुड़े अहम फैसले करने वाली इस समिति में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और रेल मंत्री पीयूष गोयल सदस्य हैं। जबकि आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किये गये हैं।