पटना: नीतीश कुमार ने आज अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया जिसमें कुल 8 नेताओं को जदयू कोटे से मंत्री बनाया गया है. इनमें नरेंद्र नारायण यादव, श्याम रजक, अशोक चौधरी, बीमा भारती, संजय झा, रामसेवक सिंह, नीरज कुमार और लक्ष्मेश्वर राय के नाम शामिल हैं. बीते दिनों मोदी कैबिनेट में नहीं शामिल होने का फैसला लेकर नीतीश कुमार ने सबको चौंका दिया था. नीतीश कुमार ने भी मंत्रिमंडल विस्तार में बीजेपी के किसी सदस्य को जगह नहीं दी है. विधानसभा चुनाव 2020 में होने हैं और इससे पहले नीतीश ने जातीय समीकरण को साधने का भरसक प्रयास किया है.

नीरज कुमार जदयू के प्रवक्ता रह चुके हैं. इन्हें नीतीश कुमार का करीबी माना जाता है. नीरज फिलहाल विधान पार्षद हैं और भूमिहार समुदाय से आते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, बिहार में भूमिहार 6 प्रतिशत हैं. चुनावी समीकरण के हिसाब से देखें तो भूमिहार बीजेपी के परंपरागत वोटबैंक माने जाते हैं लेकिन चुनाव से पहले नीतीश भी भूमिहारों को लुभाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं. मोदी कैबिनेट में शामिल होने के लिए जदयू की तरफ से एक नाम जो सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना था वो थे ललन सिंह.

मुंगेर से बाहुबली विधायक अनंत सिंह की पत्नी को हरा कर सांसद का चुनाव जीते हैं और बिहार में भूमिहारों के बड़े नेता माने जाते हैं. लेकिन जदयू के ज्यादा डिमांड के कारण और बीजेपी की ना से स्थिति विपरीत हो गई. ऐसा कहा जा रहा था कि नीतीश कुमार मोदी मंत्रिमडल के जरिये विधानसभा चुनाव के जातीय समीकरण को साधना चाहते थे.

श्याम रजक नीतीश कुमार की सरकार में पहले भी मंत्री रह चुके हैं. खाद्य आपूर्ति मंत्री और उर्जा मंत्री का प्रभार संभाल चुके हैं. श्याम रजक फुलवारीशरीफ से विधायक चुन कर विधानसभा पहुंचते रहे हैं. फिलहाल जदयू के राष्ट्रीय सचिव हैं. श्याम रजक धोबी समुदाय से आते हैं जो बिहार में ईबीसी के तहत आता है. इसे अत्यंत पिछड़ा वर्ग कहा जाता है जो नीतीश कुमार का कोर वोटबैंक माना जाता है.

अशोक चौधरी बिहार में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. कांग्रेस से जदयू में शामिल होने के बाद इन्हें भी विधान पार्षद बनाया गया था. अशोक दलित समुदाय से आते हैं. अगर नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल विस्तार को देखा जाये तो इसमें सभी जातीय समीकरणों को साधने का भरसक प्रयास किया गया है.