नई दिल्ली: भारत को एकता प्रधान देश माना जाता है। मगर इसके अन्दर विभिन्न प्रकार के धर्म और संस्कृतियां हैं। धर्म लोगों को जातियों के बीच भी विभाजित करता है। मगर धर्म और जाती से ऊपर उठाकर जब कोई उदाहरण देखने को मलता है तो गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है। तब एहसास होता है कि हम किसी एक धर्म के ना होकर भारतीय हैं, और शायद सबसे पहले एक इंसान हैं। ऐसा ही एक उदाहरण महाराष्ट्र के एक सरकारी अफसर ने दिया।

संजय एन माली नाम के एक सरकारी अफसर, जो कि एक हिन्दू हैं, उन्होंने इस साल रमजान में रोजे रखे। ऐसा उन्होंने अपने ड्राइवर के लिए किया। संजय महाराष्ट्र के बुलधाना से फारेस्ट डिपार्टमेंट के सरकारी अफसर हैं। उन्होंने अपने ड्राइवर ज़फर के लिए इस साल रमजान के पूरे महीने रोज़े रखने का फैसला किया है।

जब संजय से ऐसा करने का कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उनका ड्राइवर ज़फर हर साल रमजान में रोज़े रखता था, मगर इस साल बीमार होने की वजह से वह रोज़े नहीं रख सका। इसलिए उसकी जगह पर उसके लिए मैनें रोज़े रखने का फैसला लिया।

मीडिया से बात करते हुए संजय ने बताया कि जब मैनें ड्राईवर से रोज़े ना रखने का कारण पूछा तो उसने बताया कि उसकी तबीयत ठीक नहीं रहती और ड्राइवर की नौकरी के चलते वह रोज़े नहीं रख पाएगा। यही कारण है कि मैनें उसके लिए रोज़े रखने का फैसला लिया।

संजय सुबह जल्दी उठकर 4 बजे से पहले रोज़े के नियमों के अनुसार कुछ खाते हैं और फिर शाम 7 बजे के बाद कुछ खाकर रोज़ा तोड़ते हैं। रोज़ा के दौरान जिन भी नियमों का पालन किया जाना जरूरी होता है, संजय वे सभी फॉलो करते हैं। मीडिया से बात करते हुए संजय ने बताया कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है इसलिए मैं बस उसका पालन कर रहा हूं।

'हर धर्म हमें कुछ सिखाता है। हमें खुद भी सभी धर्मों से कुछ ना कुछ सीखने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन इन्सानियता को हमेशा सबसे पहला धर्म मानना चाहिए। इंसानियत के बाद दूसरे नंबर पर धर्म आना चाहिए।' संजय ने बताया कि रोज़ा रखने से वे फ्रेश भी महसूस करते हैं। उन्हें रोज़ा रखकर अच्छा लगा।