श्रेणियाँ: राजनीति

नवीन पटनायक ने ओडिशा के इतिहास में लिखा नया अध्याय

नई दिल्ली: लेखक, कलाप्रेमी और चतुर राजनीतिज्ञ नवीन पटनायक ऊपर से भले ही शांत दिखते हों लेकिन विरोधियों, पार्टी के बागियों के साथ ही कुदरती और सियासी तूफानों से निपटने का शऊर उन्हें बखूबी आता है और यह उनकी सफलता की कुंजी भी रहा है। अपने पिता और ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक की विरासत संभालने वाले नवीन की पहचान शुरूआत में उनके बेटे के रूप में ही रही।

उड़िया भी ठीक से नहीं बोल पाने वाले नवीन ने 1997 में बीजू पटनायक के निधन के बाद पार्टी की कमान संभाली और दो दशक बाद एक बार फिर लगातार पांचवीं बार ओडिशा के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। उनके मार्गदर्शन में बीजू जनता दल एक बार फिर शानदार जीत दर्ज करने जा रहा है। ओडिशा के मुख्यमंत्री के रूप में पहली बार 2000 में शपथ लेने वाले पटनायक का सामना चिटफंड घोटाले से लेकर खनन घोटाले समेत कई विवादों से हुआ लेकिन अपने राज्य में वह निर्विवादित रूप से सबसे लोकप्रिय नेता बने रहे।

‘ईमानदार और स्वच्छ’ नेता की अपनी छवि के दम पर पटनायक भाजपा की कड़ी चुनौती का मुकाबला करने में कामयाब रहे। विशेषज्ञों की राय में इस चुनाव के बाद वह अकेले प्रांतीय छत्रप रह गए हैं। अपने पिता की लोकसभा सीट अस्का से 1997 में चुनाव लड़कर नवीन ने राजनीति में कदम रखे। एक साल बाद जनता दल टूट गया और पटनायक ने बीजू जनता दल बनाया। उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन किया और 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे। वह 1998 और 1999 में अस्का से फिर चुने गए।

भाजपा-बीजद गठजोड़ ने 2000 में राज्य विधानसभा चुनाव जीते तो पटनायक मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 2004 में भी वह सत्ता में आये। विहिप नेता स्वामी लक्ष्मणनंदा सरस्वती की हत्या के बाद हुए कंधमाल दंगों से दोनों दलों में मतभेद पैदा हुआ। पटनायक ने 2009 आम चुनाव और विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा से नाता तोड़ दिया। यह राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में उनका ‘मास्टरस्ट्रोक’ साबित हुआ और उनका कद प्रदेश में बढ़ा।

बीजद ने लोकसभा में 21 में से 14 और विधानसभा में 147 में से 103 सीटें जीती। उसके बाद से पटनायक ने कई तूफान झेले जिनमें 2012 में उनकी ही पार्टी के नेताओं द्वारा कथित तख्तापलट का प्रयास शामिल था जब वह विदेश में थे। उस तूफान में वह और निखरकर उभरे। बीजद ने 2014 में मोदी लहर के बावजूद रिकार्ड जीत दर्ज की। उनकी पार्टी ने 147 में से 117 सीटें और लोकसभा में 21 में से 20 सीटें जीती। पटनायक की नरम मुस्कान के पीछे आधुनिक राजनीति का सख्त धुरंधर छिपा है।

उन्होंने विजय महापात्रा, प्यारे मोहन महापात्रा, करीबी सहयोगी बैजयंत पांडा और दामोदर राउत जैसे बागियों को भी नहीं बख्शा। ओडिशा के लोगों के दिलों में पटनायक की खास जगह है। एक रूपये किलो चावल और पांच रूपये में खाने की उनकी योजनायें काफी लोकप्रिय रही। उन्होंने 2019 चुनाव से पहले महिलाओं के लिये 33 प्रतिशत आरक्षण का समर्थन किया और उसे लागू भी किया। उन्होंने भाजपा और कांग्रेस दोनों से दूरी बनाये रखते हुए संकेत दिया कि ओडिशा के हितों की रक्षा करने वाले किसी भी गठबंधन का समर्थन करने को वह तैयार हैं। कई किताबें लिख चुके पटनायक ने विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करके ओडिशा के इतिहास का एक नया अध्याय लिख डाला है जिसके महानायक वह खुद हैं।

Share

हाल की खबर

चौथे चरण के चुनाव में 41 प्रतिशत उम्मीदवार करोड़पति

उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव 2024…

मई 4, 2024

सरयू नहर में नहाने गये तीन बच्चों की मौत, एक बालिका लापता

मृतको में एक ही परिवार की दो सगी बहने, परिजनो में मचा कोहरामएसडीएम-सीओ समेत पुलिस…

मई 1, 2024

बाइक सवार दोस्तों को घसीट कर ले गई कंबाइन मशीन, एक की मौत, दूसऱे की हालत गंभीर ,लखनऊ रेफर

बाइक सवार मित्रों को गांव से घसीटते हुए एक किलो मीटर दूर ले गई,सहमे लोग…

मई 1, 2024

एचडीएफसी बैंक के पेजैप ऐप को ‘सेलेंट मॉडल बैंक’ का पुरस्कार मिला

मुंबईएचडीएफसी बैंक के मोबाइल ऐप पेज़ैप (PayZapp) को 'सेलेंट मॉडल बैंक' अवार्ड मिला है। एचडीएफसी…

मई 1, 2024

पत्रकारों के पेंशन और आवास की समस्या का होगा समाधानः अवनीष अवस्थी

-कम सैलरी में पत्रकारों का 24 घंटे काम करना सराहनीयः पवन सिंह चौहान -यूपी वर्किंग…

मई 1, 2024

पिक्चर तो अभी बाक़ी है, दोस्त!

(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा) हम तो पहले ही कह रहे थे, ये इंडिया वाले क्या…

मई 1, 2024