लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ।लोकसभा चुनावी संग्राम 2019 देश का ऐसा पहला चुनाव साबित हुआ जिसमें कोई ख़ास मुद्दों पर बहस नही सुनाई दी सत्ता पक्ष की और से नेहरू , इंदिरा व राजीव गांधी परिवार तक ही सीमित होकर रह गया पूरा चुनाव।वर्तमान सरकार ने देश के लिए नया क्या किया जिससे देश को आने वाले दिनों में लाभ होगा उसकी सरकार वापसी होने पर भविष्य के लिए उसके पास क्या योजनाएँ है इस पर कोई चर्चा नही होने दी वर्तमान सरकार ने जबकि चुनाव में होना ये चाहिए था सरकार को बताना चाहिए था कि हमने ये कर दिया है और ये हम सरकार में वापिस आने पर करेगे लेकिन सरकार तो कुछ बताने को तैयार नही थी सत्तारूढ़ दल मोदी की भाजपा का घोषणापत्र भी तीन दौर का चुनाव निपटने के बाद आया जिसमें कोई ख़ास बात शामिल नही थी और न है।नोटबंदी -जीएसटी जैसे गंभीर मुद्दों पर कोई बात नही की गई सरकार की ओर से क्या ये देश के लोकतंत्र के लिए बेहतर है।गोवंश के नाम पर हिन्दुवादी संगठनों ने खुलेआम गुण्डागर्दी की गई मुसलमानों और दलितों पर जमकर अत्याचार हुए लेकिन मोदी की भाजपा ने पूरे चुनाव कोई ऐसा संदेश देने की कोशिश नही की सरकार की वापसी पर ऐसा कोई काम नही किया या करने नही दिया जाएगा जिससे किसी पर अत्याचार हो।मोदी की भाजपा को एकजुट होकर चुनौती देने की विपक्षी दल भी कोई कारगर योजना नही बना पाए हालाँकि कई रैलियाँ की गई मगर उसके कोई ठोस परिणाम सामने नही आए जनता ने खुद ही फ़ैसला किया कि हमें क्या करना चाहिए इसके क्या परिणाम आएँगे ये कहना तो मुश्किल है लेकिन जो दिख रहा है वो मोदी की भाजपा के अनुकूल नही है देश 2014 को दोहराने नही जा रहा है ये बात मोदी की भाजपा भी समझ रही है आख़िरी चरण में देश की 59 लोकसभा सीटों पर चुनाव होने है जिसमें की 13 सीटें शामिल है उनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सीट वाराणसी भी शामिल है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संसदीय क्षेत्र भी शामिल है जहाँ एक बार फिर हार का सामना न हो इसका तनाव मुख्यमंत्री के चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा है और ऐसा लगता है कि इस बार भी गोरखपुर में मोदी की भाजपा के लिए जीत आसान नही है यही हाल ग़ाज़ीपुर में केन्द्रीय मंत्री मनोज सिन्हा का है वहाँ भी सिन्हा को दिन में तारे दिखाई दे रहे है वहाँ भी मोदी की भाजपा के लिए जीतना आसान नही लग रहा है बाक़ी सीटों पर भी गठबंधन मोदी की भाजपा को ख़ून के आँसू रूला रहा है जैसे महाराजगंज , गोरखपुर , देवरिया , कुशीनगर , घोसी , बलिया , सलेमपुर , BANSGAON , ग़ाज़ीपुर , चन्दौली , वाराणसी , मिर्ज़ापुर व राबर्टगंज ये वो लोकसभा क्षेत्र है जहाँ आज चुनाव होने है मोदी की भाजपा और गठबंधन पूरी कोशिश में है कि किसी तरह एक दूसरे को मात दे लेकिन यूपी का सियासी गणित गठबंधन को फ़ायदा पहुँचाता लग रहा है हालाँकि मोदी की भाजपा भी पूरी ताक़त लगा रही है कि यूपी में गठबंधन से हो रहे नुक़सान को कम किया जा सके लेकिन लगता नही यूपी में डूब रही मोदी की भाजपा को कोई तरीका बचा पाए अब ये तो आने वाले चुनाव के परिणाम ही तय करेगे कि क्या किसने खोया और क्या पाया दौराने चुनाव जो सियासी परिदृश्य नज़र आया उसे देखने और समझने के बाद यही कहा जा सकता है कि यूपी में मोदी की भाजपा को भयंकर नुक़सान होने जा रहा और नुक़सान भी इतना है कि पूरा देश भी मिलकर नुक़सान की भरपायी नही कर रहा है।यूपी की मोदी की भाजपा ने प्रमुख नेताओं की एक सूची जारी की है जिसमें बताया गया है कि कौन वीआईपी नेता कहाँ और किस समय अपना मत डालेंगे जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में सुबह 7:00 बजे वोट डालेंगे लेकिन इसमें एक ख़ास बात ये है कि इनका बूथ नंबर नही बताया गया है और न ही प्रदेशाध्यक्ष महेन्द्रनाथ पाण्डेय का बूथ नंबर बताया गया है इसकी वजह ये हो सकती है गोरखपुर सीट मुख्यमंत्री के इस्तीफ़े के बाद हुए उप चुनाव में मुख्यमंत्री योगी सीट के साथ अपना बूथ भी हार गए थे कही ऐसा न हो इस बार भी वो अपना बूथ न हार जाए इस लिए उनके बूथ नंबर को छिपाया जा रहा रहा है ?खैर ये तो रही यूपी की बात हम बात कर रहे थे आजादी के बाद से अब तक हुए चुनावों की इससे पहले के चुनाव में कभी इस तरह के चुनाव देखने को नही मिले हमारे वरिष्ठ साथी बताते है कि इस बार के चुनाव मुद्दा विहीन है न कोई ठोस योजनाएँ है न चुनावी चर्चा सही दिशा में हुई एक तरफ़ से चौकीदार चोर है के नारे गुंजते रहे तो दूसरी तरफ़ से मोदी की भाजपा के भाषणवीर जब कुछ नही मिला तो अतीत से गड़े मुर्दे उखाड़ लाए राहुल और प्रियंका गांधी जब ये नारे लगाते या लगवाते कि चौकीदार चोर है तो मोदी एण्ड कंपनी के पास कोई ठोस जवाब नही रहता था इस लिए बोफ़ोर्स को ही ले आए जिसमें उनको क्लीनचीट मिल चुकी थी लेकिन कुछ तो कहना था चौकीदार चोर है के जवाब में यही सही। नेहरू ने ये नही किया इंदिरा ने वो नही किया राजीव ने बोफ़ोर्स में गड़बड़ी की इटैलियन कनेक्शन जैसे बेमतलब की बातें हुई क्या मोदी की भाजपा ने ये स्वीकार कर लिया है कि हम तो गए या अभी भी उनकी उम्मीदें क़ायम है लेकिन जिस तरह कल प्रेस वार्ता में नरेन्द्र मोदी के चेहरे का हाव-भाव साफ बता रहा था कि कुछ तो गड़बड़ है जो उन्हें इंगित कर रहा है सबकुछ खतम हो गया है।यूपी के खेल ने बिगाड़ा मोदी की भाजपा का खेल।