अहमदाबाद : अपनी शिष्या के साथ बलात्कर मामले में जेल में बंद आसाराम बापू के बेटे नारायण साई को उम्र कैद की सजा हुई है। सूरत सत्र न्यायालय ने मंगलवार को साई को यह सजा सुनाई। कोर्ट ने गत शुक्रवार को इस रेप केस में साई को दोषी पाया था। इस मामले में कुल 11 अभियुक्त थे और इनमें से 6 को बरी कर दिया गया है। 47 वर्षीय नारायण साई 2013 से ही लाजपोर जेल में बंद है। साई को आईपीसी के धारा 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक दुराचार), 323 (हमला), 506-2 (आपराधिक धमकी) और 120 बी (षड्यंत्र) के तहत दोषी पाया गया।

साई के अलावा उसके सहयोगी धर्मिष्ठा उर्फ गंगा, भावना उर्फ जमुना और पवन उर्फ हनुमान को साजिश रचने का दोषी पाया गया। साई का ड्राइवर राजकुमार उर्फ रमेश मल्होत्रा को हमलावर को शरण देने के आरोप के तहत दोषी पाया गया। साधिका कही जाने वालीं गंगा और जमुना पर आरोप था कि उन्होंने पीड़िता को गलत तरीके से कैद करके रखा और साई के निर्देश पर उससे मारपीट की। उन पर यह भी आरोप लगाया गया था कि उन्होंने साई के साथ रिश्ता कायम करने के लिए पीड़िता का ब्रेनवॉश किया। साधक हनुमान पर पीड़िता को बहलाने सहित साई के कमरे में ले जाने का आरोप था।

साल 2013 में आसाराम की गिरफ्तारी के बाद सूरत की दो बहनों ने 2013 में पुलिस में दर्ज अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि आसाराम बापू और नारायण साई ने उनका यौन उत्पीड़न किया था। इनमें से एक बड़ी बहन ने आरोप लगाया कि जब वह उसके अहमदाबाद के आश्रम में रह रही थी तो 1997 से 2006 के बीच आसाराम ने उसके साथ बलात्कार किया। छोटी बहन ने आरोप लगाया था कि सूरत के जहांगीपुरा इलाके में बने आश्रम में 2002 से 2005 के बीच रहने के दौरान नारायण साई ने उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया।

जब वह जेल में था, तो सूरत पुलिस ने दावा किया था कि उसने मामले को कमजोर बनाने के लिए पुलिस अधिकारियों, डॉक्टरों और यहां तक कि न्यायिक अधिकारियों को रिश्वत देने की कोशिश की। आसाराम जोधपुर में बलात्कार के एक दूसरे मामले में दोषी पाया जा चुका है और वह आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा है और सूरत में रहने वाली महिला के द्वारा दायर मामला गांधी नगर कोर्ट में चल रहा है।

साई को दिसंबर 2013 में दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर गिरफ्तार किया गया था। सूरत पुलिस ने साई के खिलाफ 2014 में 1,100 पन्नों का आरोप पत्र दायर किया था।