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पहले बूथ लूटे जाते थे अब चुनाव लूटा जा रहा हैं : संजय सिंह

लखनऊ: यूपी प्रेस क्लब में आज भारत की जनता का चुनाव घोषणा पत्र, राजनैतिक दलों की प्रतिबद्धताओं का जन घोषणा पत्र जारी किया गया इस अवसर पर जल पुरूष के नाम से देश भर में विख्यात राजेन्द्र सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2019 मेे गंगा मां की सेहत केे लिए अब आवश्यक वादे नहीं किये जा रहे है, क्योंकि अब गंगा मां के नाम पर वोट नहीं बटोरे जा सकते, मतदाता को एक बार ही मूूर्ख बनाया जा सकता है। चुनाव आयोग को घोषणा पत्रों मेें किये गये वादो को वास्तविक रूप से लागू करने के लिए कानून बनाया जाना चाहिए।

भारत के 17 राज्य 365 जिले जल संकट ग्रस्त है इनमें ना ही धरती के ऊपर पानी है न ही धरती के नीचे। नदियों के नाम पर गन्दे जल के नाले बहतेे है। जिनसे भूःजल भण्डार भी दूषित हो गये है। दो तिहाई भूःजल के भण्डार खाली हो गया है। भूःजल भण्डारों में भी 3 मीटर प्रति वर्ष जल स्तर गहराता जा रहा है। इस जल संकट से भारत के गांव और शहर सभी जूझ रहे है। गांव उजड कर शहरों की तरफ पलायन कर रहे है।

इस दौरान जल जन जोडो के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने कहा कि पहले चुनावों में बूथ लूटे जाते थे आज सम्पूर्ण चुनाव, घोषणा पत्रों और मीडिया में लोक लुभावने वादेे करके लूटे जा रहे है, जिसका जीता-जागता उदाहरण है कि 2014 के लोकसभा चुनाव मेें गंगा की अविरलता, निर्मलता के लिए खूब वादे किये गये थे, उन वादों के आधार पर अपार जन समर्थन प्राप्त किया और सत्ता में आये और बाद में घोषणा पत्र में किये गये वास्तविक वादे भूल गये, जल संकट ने किसानी को बर्वाद कर दिया है। आज का किसान बीज बोने के लिए धरती के पेट से पानी निकालने को मजबूर है धरती का पेट खाली है। इसलिए हर वर्ष खेती योग्य जमीन पर बुवाई नहीं हो रही है बुवाई हो भी गई तो जलवायु परिवर्तन बे-मौसम वर्षा वजह से वर्षा फसलों को नष्ट कर देती है। बादलों का फटना फसलों को डूबा देता है। अगर किसानो ने मेहनत से अपनी फसल को बचा भी लिया तो फिर उसका उचित दाम नहीं मिलता है। अतः किसानों का क्रोध बढना लाजमी है।

गांव के जवान बेरोजगार हो शहर जा रहे है। शहर में उचित आश्रय न मिलने से उनका क्रोध बढ गया है। इसलिए आज प्रकृति और मानवता दोनों मेें साथ-साथ क्रोध बढा है। पानी के कटाव ओर बहाव से किसानी नष्ट हुई इससे किसान एवं भारत के जवान बेरोजगार हो रहे है। इस घटना चक्र के विरोध मेें क्रान्ति का उदय हो सकता है। जो परिवर्तनकारी बन सकता है। परिवर्तनकारी व्यवस्था विस्थापन विकृति और विनाश मुक्त भारत के सपनों को दिखााने में फेल हो रही है। यही दृश्य सभी राजनैतिक दलों के घोषणा पत्रों में इसकी दृष्टि दिखायी देती है। इस हालत मेें क्या होगा? सब असमंजस में है।

हम भारत की जनता स्वभावतः किसी भी दूसरे पर दोषारोपण नहीं करते हैं। हम चाहते हैं कि अब 2019 में हमारा नेता झूठ न बोले, हमें डराये नहीं, हमारे द्वारा दिए गए अधिकारों को वह हमारे संसाधनों को अतिक्रमण, प्रदूषण और शोषण करने वाले उद्योगपतियों को न दे। अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए भारत के सैनिकों को न मरवाए, धर्म और जाति के नाम पर हमें न बांटे, राष्ट्रीय एकता, अखण्डता को कायम रखे, हमारे संविधान से मिली मानवीय मूल्यों का सम्मान बनाए रखे। संविधान ने प्रदान की समता की तरफ बढ़ने के रास्ते पर चलने के लिए तत्पर रहे। संवैधानिक संस्थाओं और मान्यताओं का सम्मान करे। हमें और हमारी प्रकृति को बराबरी से सम्मान करके हमारे आगे के रास्ते खोलता रहे।

गंगा सदभावना यात्रा और अविरल गंगा यात्रा देश भर के सभी राज्यों में विविध कार्यक्रमों में लोगों के जो मुददे निकल कर आये उनकों जल बिरादरी और जल जन जोडो अभियान ने संग्रह कर के प्रतिबद्धता पत्र तैयार किया है। आज लखनऊ मेें हम इसे जारी कर रहे है। इस पर सतत् संवाद की सभी स्तरों पर आवश्यकता हैं। यह 17वी लोकसभा के लिए ही नही है। बल्कि भारत के लोकतंत्र को मजबूत बनाने एवं संवैधानिक ढांचे को सुदृढ करने वाली है। इसे पूरे भारत के गांवों से लेेकर जिलों, राज्य स्तर पर सतत संवाद की आवश्यकता है।

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