श्रेणियाँ: विविध

कोई किताब हो बस एक सा बयां देखा

ग़ज़ल —–

निगाहे शौक़ से जब जब भी आसमां देखा,

बस एक रंग में ठहरा हुआ धुआं देखा।

ख़ुद अपने दर्द से नाआशनाई जो रखते,
वो कहते दर्द में हर शख़्स को नेहां देखा।

तसव्वुरात में इक अक्स साथ रहता है,
नज़र में होता वही है जहाँ जहाँ देखा।

सितारे टूट के धरती पे आ गए जैसे,

तड़पते जुगनू को जब ज़ेरे आसमां देखा।

हर एक सफ़हे पे ख़ूने जिगर की लाली है,

कोई किताब हो बस एक सा बयां देखा।

वो झूठ मूठ की बातें बनाता रहता है,

जो माशरे को कहे हंसता शादमां देखा।

किसे पता है कहाँ पर किसी की मंज़िल है,

भटकता शहरे तमन्ना में कारवां देखा।

चुरा के नज़रें कोई कुछ कहे मगर सच है,

रुख़े हयात पे बस मौत का निशाँ देखा।

जहाँ जहाँ गया ' मेहदी ' दिखी वही सूरत,

हर इक दयार में उझड़ा सा आशियाँ देखा।

मेहदी अब्बास रिज़वी " मेहदी हल्लौरी "

Share

हाल की खबर

सरयू नहर में नहाने गये तीन बच्चों की मौत, एक बालिका लापता

मृतको में एक ही परिवार की दो सगी बहने, परिजनो में मचा कोहरामएसडीएम-सीओ समेत पुलिस…

मई 1, 2024

बाइक सवार दोस्तों को घसीट कर ले गई कंबाइन मशीन, एक की मौत, दूसऱे की हालत गंभीर ,लखनऊ रेफर

बाइक सवार मित्रों को गांव से घसीटते हुए एक किलो मीटर दूर ले गई,सहमे लोग…

मई 1, 2024

एचडीएफसी बैंक के पेजैप ऐप को ‘सेलेंट मॉडल बैंक’ का पुरस्कार मिला

मुंबईएचडीएफसी बैंक के मोबाइल ऐप पेज़ैप (PayZapp) को 'सेलेंट मॉडल बैंक' अवार्ड मिला है। एचडीएफसी…

मई 1, 2024

पत्रकारों के पेंशन और आवास की समस्या का होगा समाधानः अवनीष अवस्थी

-कम सैलरी में पत्रकारों का 24 घंटे काम करना सराहनीयः पवन सिंह चौहान -यूपी वर्किंग…

मई 1, 2024

पिक्चर तो अभी बाक़ी है, दोस्त!

(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा) हम तो पहले ही कह रहे थे, ये इंडिया वाले क्या…

मई 1, 2024

आज के दौर में ट्रेड यूनियन आंदोलन और चुनौतियां

(अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर विशेष आलेख : संजय पराते) आजादी के आंदोलन में ट्रेड यूनियनों…

मई 1, 2024