EX IPS विजय सिंह बुलन्दशहर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे ?

लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ।देशभर में मोदी की भाजपा के लिए कड़ी चुनौती बनने की कोशिश कर रही कांग्रेस यूपी में गठबंधन को भी हराने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है उसके लिए पार्टी ने पूरे ज़ोर लगा दिए है लगता है कांग्रेस ने तय कर लिया है मैं जीत पाऊँ या न जीत पाऊँ लेकिन गठबंधन की हवा निकाल कर ही रहूँगी।इस सूरत में मोदी की भाजपा विरोधी वोटर को बहुत ही समझदारी से वोटिंग करनी होगी अगर वोटर ज़रा भी विचलित हुआ तो कांग्रेस का मक़सद पूरा हो जाएगा अब ये तो बाद में पता चलेगा जब सब पार्टियों के पत्ते खुलकर सामने आएँगे कि कौन सब पर भारी है अभी तक तो गठबंधन यूपी में मोदी की भाजपा सहित कांग्रेस पर भारी पड़ रहा है उसे कोई रास्ता नही मिल रहा है क्योकि गठबंधन के पास थौंक में वोट खड़ा है।कांग्रेस ने आज एक पूर्व IPS रहे कभी बसपा सुप्रीमो एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के खासम खास रहे और माया सरकार में सचिव मुख्यमंत्री रहे पंचमतल पर धमक रखने वाले तेज़ तर्रार सेवानिवृत्त IPS अफसर विजय सिंह को आज कांग्रेस में शामिल कर लिया है।विजय सिंह के पिता स्वं धर्म सिंह बुलन्दशहर से 5 बार विधायक रहे हैं और यूपी विधानसभा के स्पीकर भी रह चुके हैं।कांग्रेसी सूत्रों की मानें तो विजय सिंह बुलन्दशहर सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे।बिजनौर की रहने वाली पूर्व मंत्री ओमवती और उनके पति पूर्व IAS आर के सिंह सीतापुर की पूर्व सांसद श्रीमती कैंसरजहाँ और उनके पति पूर्व विधायक जसीम अहमद, मुज़फ़्फ़रनगर जनपद की विधानसभा मीरापुर से भाजपा विधायक अवतार सिंह भडाना जो पहले भी कांग्रेस में हुआ करते थे मेरठ और फ़रीदाबाद से सांसद रहे को कांग्रेस में पहले ही शामिल करा चुकी है पूर्व केन्द्रीय गृहराज्य मंत्री रहे रामलाल राही व सांसद सावित्री फूले को भी ले चुकी हैं।कांग्रेस की ये स्ट्रेटेजी है कि इस तरह के लोगों को कांग्रेस में शामिल कराकर गठबंधन पर दबाव बनाया जाए और अगर इससे भी काम न चले तो इनको प्रत्याशी बना गठबंधन को हराया जाए।अब सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस के पास इतना वोटबैंक है कि वह गठबंधन को हरा पाए ये बात राजनीतिक जानकारों के गले नही उतर रही उनका मत है कि गठबंधन में जो वोट माना जा रहा है उनमें मुसलमान , दलित और यादव है पश्चिम में जाट को भी माना जा रहा है क्या दलित वोट कांग्रेस की साथ जा सकता है जिसकी संभावना ज़ीरो के बराबर है।क्या मुसलमान कांग्रेस के साथ जा सकता है ऐसा भी नज़र नही आ रहा क्योंकि मुसलमान तो मोदी की भाजपा को हराने वाले के साथ जाएगा जो भी उसे हराता होगा वह उसी के साथ जाएगा और आज के हालात में दलितों को साथ लिए बिना ये मुमकिन नही है और दलित गठबंधन के साथ खड़ा है बिलकुल अड के तो मुसलमानों की ज़्यादा तादाद गठबंधन के साथ जाएगी इसमें कोई छेद नज़र नही आ रहा कि वह कांग्रेस के साथ जाए।अब बात आई यादव जाति की जो सपा कंपनी का असल वोट माना जाता है हालाँकि 2014 के आमचुनाव में वह मोदी की भाजपा के साथ तो चला गया था कांग्रेस को तो वो भी पसंद नही करता है।रही बात जाट की उसको वैसे तो मूल रूप से जाटों के सिरमौर रहे पूर्व प्रधानमंत्री स्वं चौधरी चरण सिंह का अनुयायी माना जाता था लेकिन मोदी की भाजपा के साम्प्रदायिककरण के चलते वह विचलित होकर जाट न होकर हिन्दू हो गया था वोट के ऐतबार से जिसकी वजह से उसकी सियासी कयादत खतम हो गई है जबकि उसकी आस्था चौधरी परिवार में रहती आई थी और उसके द्वारा गठित सियासी दल राष्ट्रीय लोकदल को पसंद करता चला आ रहा है।अब उसके नेता मुज़फ्फरनगर से गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर चौधरी अजित सिंह खड़े होगे क्या वह अपनी कयादत को बचाने के लिए गठबंधन के साथ नही जाएगा ?या जाट ये सब दरकिनार कर कांग्रेस के साथ जा सकता है ये भी एक ऐसा सवाल है जो गले से नीचे उतरने में परेशानी करता है? ऐसा हो उसकी संभावना न के बराबर हैं।तो फिर कांग्रेस के पास वो वोट कहाँ से और किस वजह से आएगा जो वह गठबंधन के प्रत्याशियों को हरा पाने में सफल हो सकेगी ये सवाल लोगों के दिमाग़ में घूम रहे है लेकिन फिर भी कांग्रेस अपना प्रयास कर रही है अब ये तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा कि कांग्रेस की इस गुगली में कितने वोटर फँसते है या गुगली बेकार ही जाएगी।