नींद न आने से बच्चों की सेहत पर कई बुरे असर हो सकते हैं। वैज्ञानिकों ने भी यह माना है कि, जिन बच्चों को पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती उनके बर्ताव और पढाई में कई समस्याएं आती हैं। अगर वे टीनएजर्स हैं तो उन्हें उदासी, निराशा का भी सामना करना पड़ सकता है। एडीएचडी, एकाग्रता का अभाव, मोटापे की संभावना यह समस्याएं भी बच्चों की नींद पूरी न होने से काफी जुडी हुई हैं। गोदरेज इंटेरिओ द्वारा हाल ही में किए गए एक अभ्यास में यह देखा गया कि, नींद न आने की परेशानी भारत में सबसे ज्यादा बच्चों में पायी जाती है। घरेलु और इन्स्टिटूशनल फर्नीचर का भारत का अग्रणी ब्रैंड गोदरेज इंटेरिओ ने 2017 में स्लीप@10 अभियान शुरू किया। भारत में नींद न आने की समस्या लगातार बढ़ रही है, इसपर इस अभियान में ध्यान केंद्रित किया गया। 93% से ज्यादा भारतीय इस समस्या से परेशान हैं। स्लीप@10 वेबसाईट पर बनाए गए स्लीप-ओ-मीटर पर भारत के कई लोगों ने स्लीप टेस्ट लिया, इस स्लीप टेस्ट के नतीजों पर आधारित संशोधन किया गया। 3.5 लाख से भी अधिक भारतीयों ने स्लीप टेस्ट दिया। भारत में नींद न आने की समस्या से सबसे अधिक परेशान शहरों में से एक लखनऊ है। इस अभ्यास में यह भी पाया गया कि, न केवल बड़े बल्कि छोटे बच्चें भी इस समस्या से ग्रस्त हैं। 18 वर्ष की कम आयु के 65% बच्चें नींद से उठने के बाद भी सुस्त और थके हुए रहते हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि हमारी नई पीढ़ी में नींद न आने की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस सर्वेक्षण में सहभागी बच्चों में से करीबन 47% बच्चों ने माना कि उनकी नींद की अवधि टीवी और फोन की वजह से कम हो रही है। 49% बच्चों ने कहा वे आधी रात के बाद सोते है जब कि, उनके लिए सोने का सही वक्त रात के दस बजे बना जरुरी है। परीक्षा के दिन न केवल बच्चों के लिए बल्कि घर के सभी लोगों के लिए बहुत ही तनावपूर्ण रहते हैं। परीक्षा से जुड़े तनाव, चिंता को दूर करने के लिए माता-पिता को यह देखना जरुरी है कि बच्चों को पर्याप्त नींद मिले। परीक्षा के दौरान बच्चों को पर्याप्त नींद मिल पाना बहुत ही आवश्यक होता है क्योंकि इससे बच्चें अधिक एकाग्रता से पढाई कर पाते हैं।