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राष्ट्र के उत्थान के लिए महिला व पुरुष में संतुलन ज़रूरी

आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है व पूरे विश्व के साथ यह दिन भारत में भी उत्सव की तरह मनाया जा रहा है l महिलाओं के सशक्तिकरण व राष्ट्रहित में उनके योगदान को सम्मानित करने हेतु सरकारी व गैर सरकारी संगठनों द्वारा अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है l

परन्तु क्या नारी को एक दिन सम्मानित करके या सोशल मीडिया पर सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई दे देने से महिला सशक्तिकरण के लिए हमारा योगदान पूरा हो जाता है ? साल के इस एक दिन हम जो महिलाओं के लिए आदर व सम्मान दिखाते हैं, क्या वही सम्मान साल के बचे हुए दिन में नहीं दिखा सकते ? साल का कोई एक दिन भी ऐसा नहीं जाता जिस दिन दैनिक समाचार पत्रों में महिलाओं के साथ हुए यौन शोषण या घरेलु हिंसा की खबर ना छपती हो l वर्ष 2018 में #MeToo Campaign के ज़रिये महिलाओं ने यौन शोषण के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की पर यह अभियान सिर्फ उच्च वर्ग की महिलाओं तक ही सीमित रह गया l प्रतिदिन अपनी हर ज़रूरत के लिए संघर्ष करने वाली महिलाओं ने हमेशा की तरह समाज के डर व अपनी इज़्ज़त का ख्याल कर इस अभियान से दूरी बनाये रखी l

यह सत्य है कि नारी पहले की अपेक्षा अधिक सशक्त, समर्थ व समृद्ध है व दुनिया बदलने का साहस रखती है परन्तु अभी भी कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिन पर विचार ज़रूरी है l अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सभी महिलाओं के सम्मान का दिन है और हम इस पुरुष प्रधान समाज से उम्मीद करते हैं कि वे हमारी महत्ता को समझें व हमारा सम्मान करें आज हर तरफ कन्या भ्रूण ह्त्या, यौन हिंसा, घरेलु हिंसा के खिलाफ अभियान चलाये जा रहे हैं, सरकार से लेकर अनेक संगठन इन सामाजिक अपराधों के खिलाफ लोगों को जागरूक कर रहे हैं, लेकिन इन सभी अपराधों में क्या सिर्फ पुरुष ही अहम भूमिका निभाते हैं ? नहीं, महिलाएं भी इसमें बराबर की भागीदार हैं l अगर हम कन्या भ्रूण हत्या या घरेलु हिंसा की बात करें तो, क्या बहुओं का गर्भ गिराने या उन्हें ज़िंदा जलाने में सास, जेठानी या नन्दें अहम भूमिका नहीं निभाती ? अगर यौन हिंसा की बात की जाए तो देवरिया बालिका गृह में हुए यौन उत्पीड़न में संचालिका गिरिजा त्रिपाठी व उनकी बेटी कंचनलता एवं मुज़फ्फरनगर बालिका गृह काण्ड में किरण व चंदा के अमानवीय कृत्यों को नकारा नहीं जा सकता l

इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम है "Balance For Better" यानी सही के लिए संतुलन व समाज व राष्ट्र के उत्थान व विकास के लिए महिला व पुरुष में संतुलन आवश्यक है, परन्तु यह संतुलन अभियान चलाने या जागरूक करने से नहीं आएगा बल्कि सभी के बराबर सहयोग से आएगा l तभी एक संतुलित देश का निर्माण होगा l

डॉ० रूपल अग्रवाल

ट्रस्टी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट

संपर्क नंबर : 9453520720, 05224027518

ई-मेल : helpu.mt@gmail.com

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