प्रयागराज: कुंभ मेले ने कई अनोखे बाबाओं / साधुओं की बदौलत लाखों लोगों को आकर्षित किया है। लाखों लोगों की भीड़ के एक साथ आने से परोक्ष या अपरोक्ष रूप से नदियों को प्रदूषित किया जाता है। तीर्थयात्रियों द्वारा पवित्र स्नान के दौरान भारी मात्रा मे छोड़े गए प्लास्टिक उत्पादों के कचरे से पैदा हुई गंदगी नदी के तल और पारिस्थितिक संतुलन को प्रभावित करते हैं।

आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कंप्यूटर बाबा या टोपी वाले बाबा के शिविर का दौरा कुछ समय के लिए कुंभ के अनुभव का एक अभिन्न हिस्सा रहा है, परंतु इस वर्ष के कुम्भ मे प्लास्टिक बाबा विशेष आकर्षण का केंद्र रहे । प्लास्टिक बाबा नदी में छोड़े गए विभिन्न प्लास्टिक उत्पादों के खतरों के बारे में जागरूकता फैला रहे थे, जिससे पर्यावरण प्रदूषण फैल रहा था। वह प्लास्टिक की बोतलों, पॉलिथीन पैक, प्लास्टिक के पैकेट आदि को घूम घूम कर बीन लेते थे और इसके चलते मेला परिसर साफ रहता था और प्लास्टिक कचरे का काफी बड़ा ढेर इकट्ठा हो गया था । पूरे महीने प्लास्टिक के ढेर बनाने के लिए सभी को एक साथ प्रेरित किया और अपने शिष्यों को जागरूकता के उपहार के साथ आशीर्वाद दिया।

प्लास्टिक बाबा, अन्य बाबाओं के विपरीत, आगंतुकों से दान स्वरूप पैसे लेने से इनकार कर दिया। उन्होने इसके बदले उन्हें नदी से कोई भी प्लास्टिक इकट्ठा करने और उसे अपने ढेर में डंप करने को कहा।

प्लास्टिक बाबा का मंत्र था, "नदी को नहलाओ प्लास्टिक बाबा को प्लास्टिक चढाओ।"

जबकि अन्य बाबाओं ने मेले को बीच मे छोड़ कर चले गए थे परंतु प्लास्टिक बाबा और उनके कुछ अनुयायियों ने कुंभ त्योहार के अंत तक वापस रहकर स्वयंसेवकों /अधिकारियों को प्लास्टिक को साफ करने में मदद की।

लाइफ़बॉय द्वारा क्लीनर, प्लास्टिक-मुक्त नदियों को बढ़ावा देने के लिए यह एक पहल है। प्लास्टिक बाबा ने भारी भीड़ को आकर्षित किया और लोग एक बाबा को पारिस्थितिकी के लिए खड़े देखकर बहुत खुश हुए।