श्रीनगर: भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव में कमी ज़रूर आई है, लेकिन सीमा पर गोलाबारी बढ़ी है. जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर पर पाबन्दी से सियासी माहौल गर्म है और 14 फ़रवरी को पुलवामा हमले के बाद से सुरक्षाबलों और चरमपंथी संगठनों के बीच मुड़भेड़ की ख़बरें रोज़ आ रही हैं.

सीमा के नज़दीक उत्तर कश्मीर में शुक्रवार को शुरू हुआ एक एनकाउंटर 72 घंटे बाद ख़त्म हुआ जिसमें सुरक्षाबलों के पांच कर्मी मारे गए.

पुलवामा में आत्मघाती हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में जो हालात बने हैं, उनमें सवाल उठ रहा है कि क्या अगले दो महीनों में होने वाले लोकसभा चुनावों में क्या राज्य की जनता भी शामिल हो पाएगी.

बीबीसी ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को फ़ोन कर उनसे पुलवामा हमले के बाद राज्य में बने हालात और दूसरे मुद्दों के बारे में जाना.
आम चुनावों में दो महीने से कम का समय रह गया है तो क्या राज्य में भी आम चुनाव होंगे?

चुनाव कराना हमारे हाथ में तो है नहीं. अब एक अंतरराष्ट्रीय स्थिति पैदा हो गयी है सीमा पर, पूरे बॉर्डर पर बमबारी हो रही है. तो बहुत सारे फैक्टर्स हैं जिन्हें देखकर चुनाव आयोग फ़ैसला करेगा. अगर वो तय करते हैं कि चुनाव कराओ तो हम चुनाव करा देंगे. हम पूरी तरह से तैयार हैं, हमने फोर्सेज़ इसीलिए मंगवाई हैं. (हाल ही में बीएसएफ़ समेत बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बलों को घाटी में तैनात किया गया है).

हमने पंचायत और ज़िला परिषदों के चुनाव कराए और एक चिड़िया भी नहीं मरी. अगर चुनाव आयोग हुक्म करेगा तो हम चुनाव करा देंगे.