नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने शुक्रवार को सरकार से पाकिस्तान के अंदर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी शिविर पर हवाई हमला करने के भारत के फैसले के पीछे की वजहों से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अवगत कराने के लिए एक व्यापक मुहिम चलाने को कहा। विदेश मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने यह सुझाव तब दिया जब विदेश सचिव विजय गोखले ने उसे पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच के घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी। पुलवामा में 14 फरवरी को जैश ए मोहम्मद के आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये थे।समिति ने विदेश सचिव से कहा कि सरकार हवाई हमले के असर को प्रमुखता से उजागर करे और यह बताएं कि मारे गए आतंकियों समेत जैश ए मोहम्मद को कितना नुकसान हुआ।समिति के एक सदस्य ने बताया कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी इस हमले के असर पर सवाल नहीं खड़ा करेगी।

सूत्रों के अनुसार गोखले ने समिति के सदस्यों को पाकिस्तान में जैश ए मोहम्मद के आतंकवादी शिविर पर हवाई हमले और बाद में पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई के बारे में बताया ।बैठक में विदेश मंत्रालय के अधिकारी गोखले का सहयोग कर रहे थे।बैठक में मौजूद समिति के सदस्य ने बताया कि विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने इससे पहले अक्टूबर में समिति को अवगत कराया था जब इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए थे।सदस्य के अनुसार शुक्रवार को दी गई जानकारी में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के अबतक के कार्यकाल का विदेश मंत्रालय का आकलन शामिल था। विदेश सचिव ने समिति को बताया कि पाकिस्तानी वायुसेना की भारत में सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की कोशिश विफल रही क्योंकि वायुसेना ने उसे नाकाम कर दिया लेकिन इसी क्रम में वह (पाकिस्तान) अपना एक लड़ाकू विमान गंवा बैठा।

समिति के एक सदस्य ने बाद में बताया कि सदस्यों ने विदेश सचिव से कहा कि सरकार आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाने के अपने कदम के पीछे की वजहों को जोर-शोर से दुनिया के सामने रखे।समिति के एक अन्य सदस्य ने बताया कि विदेश सचिव ने पुलवामा हमले से लेकर हवाई हमले तक मंत्रालय द्वारा उठाये गये कूटनीतिक कदमों का ब्योरा पेश किया और इस गतिरोध के बारे में अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को अवगत कराने एवं पाकिस्तान को वैश्विक रूप से अलग-थलग करने के किये गये प्रयासों के बारे में भी बताया।विदेश सचिव ने समिति को आश्वासन दिया कि विश्व बिरादरी के समय इस संबंध में मुहिम अभी चल ही रही है।

विदेश सचिव ने सदस्यों को यह भी बताया कि इस मुद्दे पर कैसे भारत ने ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोपरेशन (ओआईसी) के सदस्यों का समर्थन हासिल किया।एक बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि के तहत भारत ने पहली बार शुक्रवार को अबूधाबी में ओआईसी की बैठक को संबोधित किया जहां विदेश मंत्री सुषमा स्वराज विशिष्ट अतिथि हैं।पाकिस्तान ने ओआईसी की बैठक में भारत के भाग लेने के खिलाफ उसके पूर्ण सत्र का बहिष्कार किया।समिति के एक सदस्य ने यह भी बताया कि पाकिस्तान पर आतंकवाद निरोधक हमले के बारे में विदेश सचिव से कई सवाल किये गये लेकिन उन्होंने उनका जवाब देने में सावधानी बरती और यह रुख अपनाया कि वह सूचना की संवेदनशील प्रकृति एवं राष्ट्रीय सुरक्षा की वजह से ज्यादा खुलासा नहीं कर सकते।

गोखले ने हवाई हमले से हुए नुकसान के बारे में पूछे गये कुछ सवालों का जवाब दिया। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि रक्षा मंत्रालय ही इसका जवाब देने के बेहतर स्थिति में है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी इस समिति के सदस्य हैं लेकिन वह शुक्रवार को बैठक में मौजूद नहीं थे।समिति के सदस्यों ने वायुसेना समेत सशस्त्र बलों की प्रशंसा की और हवाई हमले को ‘शानदार एवं साहसी’कार्य बताया जिसका व्यापक तौर पर प्रचार प्रचार करने की जरूरत है।

एक सदस्य ने बताया कि यह बैठक अच्छी एवं रचनात्मक थी और संसदीय जवाबदेही का हिस्सा थी तथा मंत्रालय ने इस संबंध में जानकारी दी।बैठक में समिति के अध्यक्ष कांग्रेस नेता शशि थरूर, अरका केशरी देव, प्रो. रिचार्ड हे, जगदम्बिका पाल, एम वेंकेटेश्वर राव, मोहम्मद सलीम, पी भट्टाचार्य, सांबाजी छत्रपति, स्वप्न दासगुप्ता, चुनीभाई कांजीभाई गोहेल और कुमार केतकर ने हिस्सा लिया। भारत द्वारा मंगलवार को तड़के पाकिस्तान में बालाकोट के समीप जैश ए मोहम्मद के सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर पर बम बरसाने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बहुत बढ़ गया। जैश ने 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ली थी।