लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के सिंधी संस्करण का लोकार्पण आज शिव शांति आश्रम, आलमबाग, लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया गया। राज्यपाल की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का सिंधी अनुवाद एवं प्रकाशन संसद भवन में सिंधी भाषान्तरकार पैनल के सदस्य एवं अवध विश्वविद्यालय अयोध्या के सिंधी भाषा के व्याख्याता श्री सुखराम दास द्वारा किया गया है।

राज्यपाल ने कहा कि वे आज यहाँ राज्यपाल के रूप में नहीं बल्कि लेखक के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। राज्यपाल ने बताया कि तीन सिंधी नेताओं का उनके सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। मुंबई भारतीय जनसंघ में कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते हुये जनसंघ के मुंबई अध्यक्ष झमटमल वाध्वानी से एवं विधायक रहते हुये नेता विधायक दल हशु आडवाणी से उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में बहुत सीखा है। राज्यपाल ने कहा कि 1989 से सांसद रहे तो अटल जी एवं आडवाणी जी का सानिध्य प्राप्त हुआ। उनकी पुस्तक का सिंधी में प्रकाशन का कार्यक्रम उन्हें बहुत समाधान देने वाला अवसर है। उन्होंने कहा कि सिंधी अनुवादक सुखराम दास ने पूर्ण दायित्व से अनुवाद कर पुस्तक के साथ न्याय किया है।

श्री नाईक ने अपने संस्मरण संग्रह ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 80 वर्ष से अधिक पुराने मराठी दैनिक समाचार पत्र सकाल ने महाराष्ट्र के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों एवं केन्द्रीय मंत्रियों श्री शरद पवार, श्री सुशील कुमार शिंदे एवं श्री मनोहर जोशी के साथ उनसे अनुरोध किया कि अपने-अपने संस्मरण लिखें जो उनके समाचार पत्र के रविवारीय अंक में विशेष रूप से प्रकाशित होंगे। इस प्रकार एक वर्ष तक सीरीज चली। मित्रों एवं शुभचिंतकों के आग्रह पर समाचार पत्र में प्रकाशित लेखों को पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ के रूप में मराठी भाषा में प्रकाशित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि वे 3 बार विधायक एवं 5 बार सांसद रहे हैं। अन्य भाषी लोगों के अनुरोध पर मराठी पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ अब तक हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, गुजराती एवं संस्कृत सहित 6 भाषाओं में अनुवादित होकर प्रकाशित हुई हैं। सिंधी संस्करण का लोकार्पण आज सातवां कार्यक्रम है। कल नई दिल्ली में अरबी एवं फारसी भाषा में पुस्तक का लोकार्पण है और शीघ्र ही पुस्तक के जर्मन भाषा अनुवाद का लोकार्पण पुणे में होगा। किसी पुस्तक का दस भाषाओं के संस्करणों में उपलब्ध होना महत्व की बात है। राज्यपाल ने कहा कि मेरे प्रेरणा पुरूष पिता, सहयोगी एवं कार्यकर्ता रहे हैं तथा पुस्तक लिखने में उनकी पत्नी, बेटियों और शुभचिंतकों से उन्हें संबल मिला।

राज्यपाल ने श्लोक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ की व्याख्या करते हुए कहा कि निरन्तर कर्म करते रहने से ही जीवन में सफलता प्राप्त होती है। राज्यपाल ने अपने राजनैतिक जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि उन्होंने विपक्ष में रहते हुये 1992 में संसद में राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ गायन की शुरूआत करायी। उनके प्रयास से 1993 में सांसद निधि की शुरूआत हुई। 1994 में मुंबई को उसका असली नाम दिलवाया जिसके बाद कई स्थानों के नाम परिवर्तित हुये। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और अयोध्या भी उसी बदलाव की कड़ी हैं। राज्यपाल ने पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कारगिल के शहीदों का भी स्मरण किया। उन्होंने बताया कि अटल जी की सरकार में पेट्रोलियम मंत्री रहते हुये उनके सुझाव पर 439 शहीदों के परिजनों को परिवार के पालन-पोषण के लिये सरकारी खर्च पर पेट्रोल पम्प और गैस एजेन्सी दी गयी। इसी प्रकार उनकी सलाह पर उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा 30 जनवरी 2016 को कुष्ठ रोगियों को रूपये 2,500 का निर्वहन भत्ता प्रदान किया गया और वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा ‘मुख्यमंत्री आवास योजना ग्रामीण’ के अंतर्गत कुष्ठ रोगियों को पक्के आवास प्रदान करने की व्यवस्था की गयी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा वास्तव में संस्मरण आगे बढ़ने की प्रेरणा होता है। व्यक्ति जैसे जीवन जीता है वैसा लिखता है तो संस्मरण बनता है। सार्वजनिक जीवन में कोई व्यक्ति अच्छे कर्म कर किस प्रकार फर्श से अर्श तक की बुलंदियों पर पहुंचता है, राज्यपाल श्री राम नाईक का जीवन इसका प्रमाण है तथा दूसरे लोगों को प्रेरणा प्रदान करता है। राज्यपाल ने अपने पुरूषार्थ और परिश्रम से यश और कीर्ति प्राप्त की। जीवन नकारात्मकता का नाम नहीं है। राज्यपाल की रचनात्मक और सकारात्मक सोच आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। राष्ट्रगान जन-गण-मन में सिंध का नाम आता है। सिंधी समाज इस बात को बेहतर समझता है। सिंधीयों ने स्वयं को देश में स्थापित किया तथा देश के विकास में योगदान दे रहे हैं। श्री लालकृष्ण आडवाणी जी का व्यक्तित्व और कृतत्व संघर्ष का पर्याय है। उन्होंने उप प्रधानमंत्री पद का सफर तय किया। भारत की मूल संस्कृति सिंधु संस्कृति है। उन्होंने कहा कि सिंधी नहीं तो हिन्दी नहीं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल ने अपने जीवन में अनेक प्रेरणादायी कार्य किये हैं। संसद में राष्ट्रगान एवं राष्ट्रगीत का गायन का प्रारम्भ कराना, संसद में सस्ता और पौष्टिक भोजन की व्यवस्था समिति के प्रथम अध्यक्ष रहते हुये कराई। राज्यपाल के रूप में लखनऊ विश्वविद्यालय में हिन्दवी स्वराज के संस्थापक छत्रपति शिवाजी जो देशवासियों को प्रेरणा प्रदान करते हैं, की अश्वरोही प्रतिमा का निर्माण करवाया तथा उत्तर प्रदेश दिवस मनाने की प्रेरणा दी। पिछले दो वर्षों से 24 जनवरी को उत्तर प्रदेश दिवस का आयोजन किया जा रहा है। गत वर्ष ‘एक जिला-एक उत्पाद’ योजना का शुभारम्भ किया गया था एवं इस वर्ष ‘विश्वकर्मा सम्मान’ योजना प्रारम्भ की गयी है। राज्यपाल ने कुम्भ समिति के अध्यक्ष के रूप में अनेक महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये जिसके अनुसार व्यवस्था भी की गयी। उन्होंने कहा कि इस वर्ष कुम्भ में अब तक 21 करोड़ लोग स्नान कर चुके हैं।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री डाॅ0 अम्मार रिज़वी ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल की पुस्तक पढ़ी है और उन्हें पुस्तक से बहुत लगाव है। पुस्तक का प्रकाशन संविधान में उल्लिखित सभी भाषाओं में होना चाहिए। श्री नाईक केवल राज्यपाल ही नहीं बल्कि हृदयपाल हैं। ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ मात्र पुस्तक नहीं उनके जीवन के संघर्ष की गाथा है। उन्होंने कहा कि जीवन में संघर्ष के बिना सफलता नहीं मिलती।

सिंधी काउंसिल आॅफ इण्डिया के राष्ट्रीय महासचिव श्री मुरलीधर आहूजा ने कहा कि पुस्तक का प्रकाशन सिंधी भाषा में होने पर सिंधी समाज का सम्मान बढ़ा है। पुस्तक प्रेरणीय है सभी व्यक्ति को इसे पढ़कर जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा लेनी चाहिए।

कार्यक्रम में सिंधी धर्मगुरू साई चाण्ड्रू राम साहिब ने आशीर्वाद प्रदान किया। समारोह में सिंधी काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मोहन दास लधानी, प्रदेश अध्यक्ष इं0 एस0 कुमार सहित अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम से पूर्व राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री का स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया।

ज्ञातव्य है कि राज्यपाल राम नाईक के मराठी भाषी संस्मरण संग्रह ‘चरैवेति! चरैवेति!!‘ का विमोचन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस द्वारा 25 अपै्रल, 2016 को मुंबई में किया गया था। राज्यपाल की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू तथा गुजराती संस्करणों का लोकार्पण 9 नवम्बर 2016 को राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में, 11 नवम्बर 2016 को लखनऊ के राजभवन में तथा 13 नवम्बर 2016 को मुंबई में हुआ। 26 मार्च 2018 को संस्कृत नगरी काशी में राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद द्वारा ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के संस्कृत संस्करण का लोकार्पण किया गया। पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ अब तक 7 भाषाओं, मराठी, हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी, गुजराती, संस्कृत एवं सिंधी भाषा में प्रकाशित हो चुकी है। अरबी, फारसी और जर्मन के प्रकाशन के बाद पुस्तक 10 भाषाओं में उपलब्ध होगी।