संजोग वॉल्टर

सैयद बदरुल हसन खान बहादुर जो फिल्मों में पप्पू पॉलिस्टर के नाम से जाने जाते हैं 5 फरवरी 2018 को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया है। जहाँ वे हार्ट अटैक के बाद 31 जनवरी 2018 से भर्ती थे। पप्पू पॉलिस्टर नवाब अमजद अली शाह की चौथी पीढ़ी से थे। उनके दादा नवाब सुलतान बहादुर स्वतंत्रता सेनानी थे, पप्पू पॉलिस्टर ने 30 वर्षों से फिल्मों टीवी, थियेटर और विज्ञापनों में लोकप्रिय अभिनेता/ लेखक के रूप में अपनी पहचान बनाई थी । 150 किलो की काया वाले पप्पू पॉलिस्टर ने भगवान शिव के वाहन "नन्दी" के रोल कई बार किये,जिसके लिए पप्पू पोलिस्टर के घर के सामने सड़क-चौराहे का नाम बदलकर नंदी-चौक रखा गया था।अलविदा

सैयद बदरुल हसन खान बहादुर को फिल्मी दुनिया में जाने का शौक उस वक़्त पैदा हुआ जब उन्हें एम. बी.ए. की पढाई के लिए लखनऊ से लन्दन जाने का मौका मिला, लन्दन में कुछ फिल्मी हस्तियों से मुलाक़ात हुई और उन्होंने फिल्मो का चस्का लग गया। उन्होंने फिल्मी दुनिया में जाने का मन बना लिया। लखनऊ में उनके अहले खानदान वालों ने एतराज़ किया,पर वो नहीं माने।

1990 में दूरदर्शन धारावाहिक द स्वोर्ड ऑफ टीपू सुल्तान ’में महाराजा ऑफ मैसूर’ के रूप में उनकी भूमिका को बहुत सराहा गया और उनकी एक पहचान बनी । उनके लोकप्रिय टीवी धारावाहिक हैं ये प्यार ना होगा कम, प्रतिज्ञा, शोभा सोमनाथ की, आयाराम गयाराम, जय माँ वैष्णो देवी, जय हनुमान, द ग्रेट मराठा, ताक झांक, माँ, चंद्रकांता,ओम नमः शिवाय, कैप्टन हाउस।, पानीपत की आखिरी जंग, श्री गणेश, नमो नारायण, जन्नत, 1857, जप तप व्रत रिपोर्टर, चाणक्य, करामती, अदालत , न्याय , बानो बेगम, भगवान श्री हरि, मुझसे दोस्ती करोगे, सोन परी, फेमली बिज़नेस ,कहकशां,दरीचा, हवाएं , सीआईडी, आहट, ब्लैक, होटल ट्रैफिक जाम , हम इंतज़ार करेंगे ,श्री नागदर्शन , हम साथ साथ हैं, खट्टा मीठा, अलबेली, खेल खेल में, जेल में हैं जिंदगी एक सफर ,देखिये होता है क्या, साथ-साथ, पडोसन, विक्की की टैक्सी, अम्बरधरा ,बात बन जाये जय संतोषी माता। दूरदर्शन धारावाहिक 'दिल आशना है' के लेखक पप्पू पॉलिस्टर थे ।

उनकी कुछ लोकप्रिय फ़िल्में हैं जोधा अकबर, फ़िर भी दिल है हिंदुस्तानी, मान, खोया खोया चाँद, फ़रिश्ते, महाराजा, फूल और अंगारे , तेरे मेरे सपने, बादल, अंदाल इंतेक़ाम, तुमसे अच्छा कौन, श्रीमती श्रीमती, आफ़ मुजे अचचे, लग्नेश। , हीरो हिंदुस्तानी, क्रांति, धुंध, दिल ढूंढता है, ये हैं मोहब्बत है, शबनम मौसी, हिंदुस्तान की कसम, लागी प्रेम अगन। धारावाहिक /फिल्मों के अलावा कई विज्ञापन फिल्मों में भी वो नज़र आये थे।

उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले 'बेस्ट ऑफ सपोर्टिंग एक्टर इन टीपू सुल्तान' के लिए नेशनल अवार्ड, नॉर्थ बॉम्बे चेम्बर्स से बेस्ट एक्टर अवार्ड, लायंस क्लब से बेस्ट एक्टर अवार्ड, उतर प्रदेश सरकार से आसिफुदौला अवार्ड। बिरजू महाराज जी, राजीव गांधी पुरस्कार आदि से सर्वश्रेष्ठ शास्त्रीय नृत्य, उन्हें अंबेडकर विश्वविद्यालय द्वारा अभिनय में डॉक्टरेट के सम्मान के साथ सम्मानित किया गया था ।

मुंबई में रहने के बाद भी लखनऊ से उनका नाता नहीं टूटा था। पप्पू पॉलिस्टर 2014 में जमीन विवाद में फंसे थे। करीब 4000 स्क्वायर फीट जमीन पप्पू पॉलिस्टर की बताते हुए कुछ लोग फेंसिंग करा रहे थे। रिवर बैंक कॉलोनी के लोगों ने इसका विरोध किया था,जिसे पुलिस ने रुकवा दिया था।

22 नवम्बर 1968 को लखनऊ के वज़ीर गंज में जन्मे सैयद बदरुल हसन खान बहादुर ने कैथेड्रल स्कूल व लखनऊ क्रिश्चयन कॉलेज से तालीम हासिल की। पोस्ट ग्रेजुएड डिग्री लखनऊ विश्व विद्यालय से हासिल की थी। उनके परिवार में पत्नी तबस्सुम आब्दी के अलावा बेटा आमिर है |

पप्पू पॉलिस्टर का निधन लखनऊ वासियों के लिए एक सदमे से कम नहीं| बेगमात ऑफ़ रॉयल अवध की जानिब उनकी मौत पर एक शोक सभा का आयोजन किया गया जिसमें उनके लिए जन्नतुल फिरदौस में मक़ाम हासिल होने और परिवार को हिम्मत और हौसला देने की परवरदिगार से दुआ मांगी गयी | शोकसभा में नुज़हत बेगम, सायरा बानो, रिज़वान मालिकी, कामरान नवाब, अज़ीम नवाब और नवाब खानदान के कई लोग मौजूद रहे |

बीती 28 जनवरी 2018 को उन्होंने अपनी शादी की 29वी सालगिरह मनाई थी।