नई दिल्ली: लोकसभा और राज्यसभा से सवर्ण आरक्षण बिल के पास होने के बाद बीते दिन राष्ट्रपति ने उस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. 1 सप्ताह के अन्दर यह बिल कानून का रूप ले लेगा. लेकिन इस बीच खबर आई है कि केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत ने सवर्ण आरक्षण की शर्तों में बदलाव करने का इशारा किया है. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस बिल के प्रावधानों पर सरकार अभी विचार कर रही है.

एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि आरक्षण के दायरे में आने के लिए 8 लाख रुपये वार्षिक आय और 5 एकड़ जमीन की सीमा में बदलाव किया जा सकता है. सवर्ण आरक्षण के बिल में जो मापदंड रखे गए हैं उसमें परिवर्तन किया जा सकता है. थावरचंद गहलोत ने कहा है कि बिल के प्रावधान अभी विचाराधीन हैं.

यह अंतिम फैसला नहीं है. सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है और सरकार सवर्ण आरक्षण बिल को पूरी तैयारी के बाद ही लागू करना चाहती है. लेकिन अंतिम मसौदे के लिए अभी कुछ दिन और इंतजार करना होगा.

लोकसभा और राज्यसभा में बिल पर चर्चा के दौरान कई सांसदों ने इस पर आपत्ति दर्ज करवाई थी कि सरकार ने जो सीमा रखी है, उसके कारण सवर्ण गरीबों को कुछ फायदा नहीं होगा. जानकारों के मुताबिक सरकार के मौजूदा बिल के तहत सवर्णों में 99 प्रतिशत आबादी इसके दायरे में होगी, जो बिल की प्रासंगिकता को कमजोर कर देगी. यह बिल अपने मकसदों से भटक सकता है.

चुनावी साल से पहले सरकार भी अपने मास्टरस्ट्रोक माने जाने फैसले को पूरी तरीके से जांच-परख के ही लागू करना चाहती है. क्योंकि विपक्ष यह पहले से आरोप लगा चुका है कि सवर्ण आरक्षण मोदी सरकार का एक और जुमला है, जिसका मकसद चुनाव से पहले सवर्ण वोटों का ध्रुवीकरण है.

सरकार के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद खुद इसे चुनाव जीतने वाला छक्का बताया था. तीन राज्यों में भाजपा की हार के बाद जिस तरह से मध्य प्रदेश में बीजेपी कुछ सीटों से सरकार बनाने में चूक गई, इसके बाद से ही नरेन्द्र मोदी और भाजपा सवर्णों की नाराजगी को दूर करने के लिए एक मास्टरस्ट्रोक प्लान कर रही थी. ऐसा कहा जा रहा है कि भारतीय समाज में गहरी पैठ रखने वाले संघ ने भी अपने आंकलन के बाद सरकार को इसे लागू करने का सुझाव दिया था.