नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अयोध्या में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की गुरुवार (10 जनवरी, 2018) को सुनवाई की। मुस्लिम याचिकाकर्ताओं की ओर पेश वकील राजीव धवन ने जब कहा कि वे बहस शुरू करेंगे तो चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि यह सुनवाई की तारीख नहीं है। दरअसल, गुरुवार को सिर्फ सुनवाई का शिड्यूल तय होना था। वहीं, बाबरी विध्वंस से जुड़े आपराधिक मामले में एक पक्ष की ओर से बतौर वकील पेश हुए जस्टिस यूयू ललित ने केस से खुद को अलग करने की इच्छा जताई।
चीफ जस्टिस ने भी माना कि सभी जजों की राय है कि ललित का इस मामले में सुनवाई का हिस्सा बनना सहीं नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि चूंकि ललित इस मामले से नहीं जुड़े रहना चाहते इसलिए सुनवाई टाले जाने की जरूरत है। बता दें कि राजीव धवन ने भी ललित के 1997 में बाबरी विध्वंस मामले में बतौर वकील पेश होने का जिक्र किया था। अब 29 जनवरी को सुनवाई होगी। बता दें कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली इस पांच सदस्यीय संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ के अलावा न्यायमूर्ति उदय यू ललित शामिल थे।
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