श्रेणियाँ: लेख

लोकसभा संग्राम 42–चुनाव आने वाले है चलो मुफ़्ती-मुफ्ती और इस्लाम-इस्लाम खेलते है

लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ।देश की सियासी फ़िज़ाओं में जब तक फ़तवों का तड़का न लगे मानों देश का कोई भी चुनाव मुकम्मल नही होता इसी के चलते मुफ़्ती-मुफ्ती और इस्लाम-इस्लाम का खेल शुरू हो जाता है इस काम को अंजाम देने के लिए मुसलमानों के ही कुछ मौक़ा परस्त लोग लग जाते है और गोदी मीडिया भी ख़ूब चश्कारे लेने लग जाती है देश के चुनावी मौसम को धुर्वीकरण करने में किसी हद तक वह कामयाब भी हो जाती है यह बात अपनी जगह है परन्तु सवाल यह उठता है कि क्या उन लोगों का सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए जो लोग अपने ज़मीर को बेचकर उनकी मदद करते है जो इस देश में सिर्फ़ धुर्वीकरण की सियासत करते है तीन तलाक़ पर क़ानून बनने का मामला हो या फ़तवों पर अपनी प्रतिक्रिया देना हो हर मामले में बढ़चढ़ कर बयान बाज़ी करना ऐसे ज़मीन फरोश लोगों की आदत बन गई है आमतौर पर लोगों का मानना है कि किसी भी इश्यू पर चर्चा करना कोई बुरी बात नही है लेकिन जो लोग इस काम को अंजाम दे रहे है उनको उसकी गंभीरता का ज्ञान भी होना ज़रूरी है आज कल एक फ़ैशन चल रहा है कि किसी भी इश्यू पर दारूल उलूम देवबन्द या किसी दीनी इदारे से फ़तवा लिया और शुरू हो जाती है उसकी बुराइयों पर प्रकाश डालना इस्लाम में कोई बुराई नही है बुराई है तो हमारी सोच में हमारे अमल में यह बात अभी मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन तलाक़ वाले बिल पर संसद में हो रही बहस में हिस्सा ले रही सांसद रनजीत रंजन के द्वारा जिस तरीक़े से तलाक़ जैसे गंभीर इश्यू पर अपनी दलीलें रखी उससे एक बार फिर साबित हो गया कि इस्लाम में कोई बुराई नही है उनका कहना था कि क़ुरान शरीफ़ को पढ़ने के बाद पता चला कि तलाक़ कैसे दी जानी चाहिए और उसको देने के बाद क्या होता है उन्होंने संसद की पटल पर अपनी ओर से यह माँग भी की कि तलाक़ पर लाए जा रहे क़ानून में क़ुरान शरीफ़ के तरीक़े को इस नए क़ानून में शामिल किया जाए इसमें बहुत ही ठोस और सबसे अच्छा तरीका मौजूद है सांसद रनजीत रंजन ने क़ुरान शरीफ़ की दो आयतों का भी ज़िक्र किया जिसके बाद यह कहने में देर नही करनी चाहिए कि संसद में की गई बहस में सबसे अच्छी रनजीत रंजन बोली उन्होंने ओवैसी और बदरूद्दीन अजमल को भी पछाड़ दिया साथ ही उन्होंने मुसलमानों की नसीहत भी दी कि उन्होंने क़ुरान को सिर्फ़ समझा नही या यूँ कहे कि समझाया नही गया। लेकिन मोदी सरकार यह तो करेगी नही क्योंकि मोदी सरकार की नीयत मुस्लिम बहनों को इन्साफ़ दिलाना नही उनको सिर्फ़ इस नाम पर सियासत करनी है।हम बात कर रहे थे ऐसे ज़मीन फरोश लोगों की जो इस काम में मोदी की भाजपा की मदद कर रहे अब तो ऐसे भी लोग तैयार कर लिए गए है जो इस काम के लिए अहल नही है और उन्होंने न मुफ़्ती का कोर्स किया न कभी किसी मदरसे में गए लेकिन वह इस तरह की बहसों में हिस्सा ले रहे है जिसके बाद इस्लाम की फ़ज़ीहत होती है और आम मुसलमान टीवी पर देख या अख़बारों में बयान पढ़कर अन्दर ही अन्दर ग़ुस्से से लाल पीला होता है अब हम बताते है ऐसे लोग क्यों आए और उन्हें क्यों लाया गया उसकी सबसे बड़ी वजह जो इदारे और उनमें कार्यरत मौलाना साहेबान इसके लायक है वह तो बेकार की उूल झलूल बातें करते नही लेकिन टीवी चैनलों व अख़बारों को तो साम्प्रदायिक ख़बरें परोसनी है सही और मान्य मौलाना प्रतिक्रिया देंगे नही तो उसका उपाय गोदी मीडिया ने निकाला कि किसी भी उठाएगिरे को मुफ़्ती या मौलाना बनाकर जनता के सामने परोसकर जनता को गुमराह किया जाए जिसे वह करने में कामयाब भी रहे है ऐसा भी देखने में आ रहा है कुछ लोग तो बस इसी लिए यह काम कर रहे है कि मैं टीवी और अख़बारों में आ रहा हूँ वह इसी बात से ख़ुश है जब इसकी सच्चाई खोजने की कोशिश की गई तो बहुत सी जानकारियाँ मिली जिसे सुनकर मुसलमान क्या हिन्दू भी आग बबूला हो जाए।इस मामले की गम्भीरता को देखते हुए हमने दारूल उलूम देवबन्द के कुछ मौलानाओ से बात की तो उनका कहना था यह सब मीडिया का कुचक्र है जिसमें हमें फँसना नही चाहिए लेकिन कुछ बुद्धीहीनता के मालिक व ज़मीन फरोश लोग उनके एजेंडे को आगे बढ़ाने में मदद कर रहे है जिससे समाज और ग़ैर मुस्लिमों में इस्लाम के ख़िलाफ़ माहौल बनाया जा सके उनका कहना है कि वह चाहे कितना भी प्रयास कर ले इस्लाम वो दीन है जिसको बुरा नही साबित किया जा सकता जो इस्लाम को ग़लत मानते है उन्हें हम इस्लाम को जानने की और समझने की दावत देते है वो आए और इस्लाम को जाने व समझे किसी के बताए या दिखाने पर इस्लाम को ग़लत न माने बात भी सही है किसी को भी ग़लत कहने से पहले हमें उसकी जानकारी करनी चाहिए तब किसी के बारे में ग़लत या सही कहना चाहिए।हम यही नही रूके हमने अपर पुलिस महानिदेशक अभिसूचना से बात करने की कोशिश की गई लेकिन बात नही हो पाई उनसे बात करने की वजह है क्योंकि कभी-कभी यह मामले तूल पकड़ जाते है जिसकी वजह से प्रदेश का माहौल साम्प्रदायिक हो जाता है उनसे हमारा सवाल था कि क्या ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ कार्यवाई होनी चाहिए जिसके पास इस्लाम पर बोलने की डिग्री ही नही है ? क्या यह मालूम नही करना चाहिए कि किस आधार पर आपने इस विषय पर अपनी प्रतिक्रिया दी क्या इस तरह के लोग प्रतिक्रिया देते है जो अधिक्रित ही नही है यह तो बहुत ग़लत है समाज को गुमराह कर रहे क्या ऐसा है ? चाहे तीन तलाक का मामला हो या अन्य मामले यह सब चुनावी चाशनी का हिस्सा है इससे इंकार नही किया जा सकता।

Share

हाल की खबर

एजेंडा लोकसभा चुनाव 2024 को मिल रहा व्यापक समर्थन

राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र में ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के एजेंडा लोकसभा चुनाव 2024 एवं…

मई 6, 2024

अब एक चुनाव, एक उम्मीदवार!

(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा) मोदी जी ने क्या कुछ गलत कहा था? राहुल गांधी अमेठी…

मई 6, 2024

4 जून को झूठों के सरदार देश छोड़कर भाग सकते हैं, लोग नज़र रखें: शाहनवाज़ आलम

आगरादिनों दिन गिरती मोदी जी की भाषा भाजपा के हार की गारंटी है. मोदी जितना…

मई 5, 2024

कर्नाटक सेक्स काण्ड: प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ इंटरपोल ने जारी किया नोटिस

यौन उत्पीड़न के आरोपी जद (एस) के सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एसआईटी ने शिकंजा कसना…

मई 5, 2024

कोहली के बयान पर भड़के गावस्कर

विराट कोहली को अपने स्ट्राइक रेट के चलते कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है।…

मई 4, 2024

पेटीएम को लगा बड़ा झटका, चेयरमैन भावेश गुप्ता का इस्तीफ़ा

मोबाइल भुगतान फर्म पेटीएम के लिए एक बड़ा झटका, अध्यक्ष और मुख्य परिचालन अधिकारी भावेश…

मई 4, 2024