नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में बुधवार को छह महीने का राज्यपाल शासन समाप्त होने के बाद राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सिफारिश भेजी और केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उनकी सिफारिश को मंजूरी दी। नवंबर महीने में राज्यपाल ने नाटकीय अंदाज में राज्य विधानसभा को भंग कर दिया था। पीडीपी ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा किया था। उसके बाद विधानसभा भंग कर दिया गया।

गौर हो कि पीडीपी ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा किया था, जिसके बाद नाटकीय घटनाक्रम में राज्यपाल सत्य पाल ने राज्य विधानसभा को भंग कर दिया। इसी दौरान पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने बीजेपी और पीडीपी के बागी विधायकों के सहयोग से सरकार बनाने के दावा ठोक दिया था। पीडीपी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि उनकी पार्टी ने 56 विधायकों के समर्थन वाला फैक्स राजभवन में भेजा था, लेकिन वह पहुंचा नहीं। इस पर अब्दुल्ला ने कहा था, 'यह पहली बार है कि राज्यपाल कार्यालय की फैक्स मशीन ने काम नहीं किया और यह लोकतंत्र की हत्या का कारण बना।'

तब राज्यपाल मलिक ने कहा था कि मैंने सदन को भंग करने का फैसला लिया क्योंकि इन पार्टियों के विधायक खरीद-फरोख्त में शामिल थे। मैं बीते 15-20 दिनों से विधायकों की खरीद-फरोख्त की खबरें सुन रहा था। मुझे खरीद-फरोख्त, विधायकों को धमकाने की रिपोर्ट मिल हो रही थी। अगर मैं किसी को भी सरकार बनाने का मौका देता, तो खरीद-फरोख्त और ज्यादा बढ़ जाती और राज्य की पूरी राजनीतिक, न्यायिक प्रणाली बर्बाद हो जाती।