नई दिल्ली: CBI vs CBI मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अटॉर्नी जनरल केके. वेणुगोपाल ने मुख्‍य न्‍यायाधीश रंजन गोगोई की अध्‍यक्षता वाली तीन जजों की पीठ के समक्ष सरकार का पक्ष रखा। अटॉर्नी जनरल ने बहस के दौरान कहा, ‘सीबीआई के दो वरिष्‍ठतम अधिकारियों (सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्‍थाना) की लड़ाई सार्वजनिक हो गई थी। लिहाजा, केंद्र सरकार इसको लेकर काफी चिंतित थी। सरकार और केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को फैसला लेना था कि दोनों में कौन सही है और कौन गलत। इस प्रकरण से सीबीआई का ही मजाक बना।’ इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि क्‍या उनके पास इस बाबत का कोई सबूत है कि सीबीआई डायरेक्‍टर आलोक वर्मा ने इस झगड़े को सार्वजनिक कर दिया। इस पर केके. वेणुगोपाल ने तीन सदस्‍यीय पीठ को अखबार की कुछ क्‍लीपिंग्‍स दी।

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी कहा है कि सरकार द्वारा इस मामले में कार्रवाई करना जरुरी था ताकि सीबीआई जैसी संस्था में जनता का विश्वास बना रहे। जिस तरह के हालात थे उसमें सरकार का हस्तक्षेप करना जरुरी हो गया था। सभी तथ्यों को ध्यानपूर्वक देखने के बाद केंद्र सरकार ने आलोक वर्मा को उनके पद से हटाने का निर्णय लिया। केके वेणुगोपाल ने अदालत में आगे कहा कि आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच झगड़ा काफी बढ़ गया था और यह मुद्दा लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया था। भारत सरकार इन सभी चीजों को देख रही थी कि कैसे वरिष्ठ अधिकारी बुरी तरह से आपस में लड़ रहे थे। अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से यह भी कहा कि केंद्र सरकार सीबीआई अध्यक्ष को नियुक्त करती है और उसके पास इतनी शक्तियां हैं कि वो इस एजेंसी की देख-रेख करे।

आलोक वर्मा और राकेश अस्‍थाना के बीच कलह की बात मीडिया में आ गई थी। बता दें कि विवाद बढ़ने के बाद केंद्र सरकार ने सीबीआई डायरेक्‍टर और स्‍पेशल डायरेक्‍टर को जबरन छुट्टी पर भेज दिया था। सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा ने इस कदम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।