लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार सूबे में सांडों की आबादी कम करेगी। सरकार ने इसके लिए तैयारी भी कर ली है, जिसके तहत सांडों की बढ़ती आबादी नियंत्रित की जाएगी। सोमवार (तीन दिसंबर) को सरकार ने सेक्स सॉर्टेड सीमन (गोवंशीय पशुओं में वर्गीकृत वीर्य का उपयोग) योजना को मंजूरी दी, जिसमें देसी गाय से बछिया को जन्म देने की 90 से 95 फीसदी तक की संभावना रहेगी। इटावा, लखीमपुर खीरी और बाराबंकी में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस योजना की टेस्टिंग भी सफल रही, जिसके बाद योगी सरकार ने इसे सभी 75 जिलों में लागू करने का फैसला लिया।

कबीना मंत्री और यूपी सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने एक अखबार से कहा, “पायलट प्रोजेक्ट में गायों ने कुल 581 बच्चों को जन्म दिया, जिनमें 522 बछिया हैं। यानी उनकी पैदाइश का आंकड़ा सफल रूप से 90 फीसदी के आसपास है।” यह भी कहा जा रहा है कि इस योजना से आवारा गोवंश पर लगाम लगेगी और गाय के दूध का उत्पादन भी बढ़ेगा।

वहीं, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, “यह योजना देसी नस्ल की गायों पर लागू होगी, जिसमें सहीवाल, गीर, हरयाणवी, थारपारकर और गंगातिरी शामिल हैं। योजना का लाभ पाने के लिए पशु पालकों को हर जिले में 300 रुपए देने पड़ेंगे, जबकि बुंदेलखंड में इसके लिए 100 रुपए ही लिए जाएंगे।” इस शुल्क के बदले में गाय को वर्गीकृत वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान कराया जाएगा।

बकौल सरकारी अधिकारी, “सरकार के इस प्रोजेक्ट के दो प्रमुख मकसद हैं। पहला- गायों की संख्या में बढ़ोतरी लाना, दूसरा- सांडों की संख्या कम करना। योजना के जरिए दो से चार सालों में इन दोनों लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है।” यही नहीं, सरकार का मानना है कि सांडों की संख्या में कमी आने के साथ फसलों की बर्बादी और सड़क हादसों में भी पहले के मुकाबले गिरावट आएगी।