नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को राफेल डील की कीमत और उसके ठेके की निर्णय प्रक्रिया पर सुनवाई जारी है। सरकार और याचिकाकर्ताओं के वकील शीर्ष अदालत में अपनी-अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने राफेल डील की जांच कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की है। बता दें कि केंद्र सरकार ने सोमवार को सीलबंद लिफाफे में राफेल डील की कीमत सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है। जबकि राफेल डील के ठेके से जुड़े निर्णय प्रक्रिया के दस्तावेज की एक प्रति याचिकाकर्ताओं को दी गई है।

सुनवाई के दौरान सीजेआई ने प्रशांत भूषण की खिंचाई की है। सीजेआई ने भूषण के नोट में गलतियों की ओर इशारा किया। प्रधान न्यायाधीश की इस टिप्पणी पर भूषण ने कहा कि नोट जल्दबादी में तैयार किया गया। इस पर सीजेआई ने कहा-'जल्दबाजी में मत पड़िए मिस्टर भूषण'। प्रशात भूषण ने अनिल अंबानी की कंपनी को ऑफसेट कंपनी बनाए जाने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने दलील दी कि डील में एक ऐसी कंपनी को भागीदार बनाया गया जिसका इस क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है।

मामले में आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह की तरफ से पेश वकील ने पीठ से कहा कि 36 लड़ाकू विमान की कीमत सरकार संसद में दो बार सार्वजनिक कर चुकी है। ऐसे में सरकार का यह कहना कि लड़ाकू विमान की कीमत की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती, यह स्वीकार करने योग्य नहीं है। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने राफेल डील की जांच कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की।